वर्तमान में रेलवे स्टेशन से होकर दो पैसेंजर ट्रेन एवं दो एक्सप्रेस ट्रेन गुजर रही है। सुबह पेंचवैली एक्सप्रेस, पातालकोट एक्सप्रेस, नैनपुर-छिंदवाड़ा एवं छिंदवाड़ा नैनपुर पैसेंजर ट्रेन की सुविधा है। वहीं दोपहर में महज एक ट्रेन का परिचालन हो रहा है। हालांकि वह भी समय पर परिचालित नहीं हो रही है। शाम को एक पैसेंजर ट्रेन छिंदवाड़ा की तरफ दो दूसरी नैनपुर की तरफ जाती है। जबकि यात्रियों को लंबे समय से जबलपुर तक कम से कम तीन ट्रेनों की सुविधा की दरकार है। दिन में भी एक से दो ट्रेनों की सख्त जरूरत है। इसके अलावा नागपुर से छिंदवाड़ा, सिवनी, जबलपुर होते हुए उत्तर प्रदेश की तरफ भी जाने के लिए ट्रेन सुविधा की दरकार है।
रेलवे स्टेशन में वर्तमान में सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है। रेलवे स्टेशन तीसरी निगाह से दूर है। प्लेटफॉर्म का अधिकतर हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता है। इससे कभी भी बड़े हादसे की आशंका रहती है। सबसे बड़ी बात यह है कि स्टेशन चारों तरफ से खुला हुआ है। ऐसे में यात्री कहीं से भी निकल जाते हैं। यात्रियों की जांच भी नहीं हो पाती है। आए दिन ट्रेनों की चेन पुलिंग भी हो जाती है। इससे रेलवे को काफी चपत लगती है। रेलवे स्टेशन में इन बिन्दुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सुरक्षा के इंतजाम न होने से यात्री डरे सहमे से रहते हैं। वहीं स्टेशन में कैंटिन की भी सुविधा की दरकार है। आए दिन ट्रेनों के देरी से चलने के कारण यात्रियों को स्टेशन पर घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं स्टेशन पर अब तक प्रर्याप्त बैठक व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशन में करोड़ों की लागत से अभी कार्य चल रहा है। जिसमें प्लेटफॉर्म नंबर-एक पर कई कार्य होने हैं। इसमें यात्रियों के बैठने के लिए अधिक से अधिक व्यवस्था भी शामिल है। स्टेशन में सबसे अधिक दिक्कत बुजुर्ग और विकलांग यात्रियों को हो रही है। प्लेटफॉर्म नंबर-एक से दो पर जाने के लिए उन्हें सीढिय़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिससे परेशानी है। इसके अलावा कोच इंडिकेटर सिस्टम भी हर प्लेटफॉर्म पर अभी नहीं लगा है। ऐसे में यात्रियों को अपनी बोगी खोजने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्टेशन में आरपीएफ एवं जीआरपी का भी पर्याप्त बल नहीं है।