जानकारी के मुताबिक, प्राची कुमावत (9) दांतारामगढ़ के उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा थी। बुधवार को रोज की तरह स्कूल आई थी। सुबह करीब 11 बजे इंटरवल हुआ, सभी बच्चे क्लास में खाना खा रहे थे। तभी प्राची टिफिन खोलते वक्त अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। उसका खाना जमीन पर बिखर गया। क्लास में मौजूद बच्चों ने तुरंत टीचर को सूचना दी।
टीचर्स ने तुरंत पहुंचाया अस्पताल
स्कूल स्टॉफ ने बिना देर किए बच्ची को दांतारामगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पहुंचाया। प्रभारी चिकित्सक डॉ. आरके जांगिड़ के अनुसार, बच्ची को बेहोशी की हालत में लाया गया था। जांच में सामने आया कि उसे कार्डियक अरेस्ट आया था। प्राथमिक इलाज के बाद जब बच्ची की हालत थोड़ी बेहतर हुई तो डॉक्टर ने उसे सीकर रेफर कर दिया। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
परिजनों को नहीं थी किसी बीमारी की जानकारी
बच्ची के दादा रामेश्वर कुमावत ने बताया, प्राची पूरी तरह स्वस्थ थी। उसे कोई बीमारी नहीं थी। वह रोजाना स्कूल जाती थी और पढ़ाई में भी अव्वल थी। परिजनों ने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी कम उम्र में दिल का दौरा पड़ सकता है। प्राची के पिता पप्पू कुमार गुजरात की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। परिवार में उसकी मां, छोटा भाई और दादा-दादी हैं।

क्या अब बच्चों में भी बढ़ रही हैं दिल की बीमारियां?
विशेषज्ञों के अनुसार, अब बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों का समय-समय पर ECG, ईको या स्ट्रेस टेस्ट करवाना जरूरी हो सकता है। खासकर अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो।
-जन्मजात हृदय रोग
-परिवार में हार्ट डिजीज का इतिहास
-मोटापा, जंक फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी
-वायरल संक्रमण के बाद हृदय में सूजन
-तनाव और मोबाइल की लत से बढ़ता स्ट्रेस
-किशोरों में नशे या बॉडी-बिल्डिंग ड्रग्स का सेवन
क्या कहना है डॉ. हेमंत चतुर्वेदी का…
बच्चों में अचानक कार्डियक अरेस्ट हालांकि काफी कम देखने को मिलता है। लेकिन ऐसा हो सकता है अगर समय रहते जन्मजात स्ट्रक्चरल, हृदय रोग या हार्ट की धड़कनों से जुड़ी समस्या (अरिदमिया) को डायग्नोस नहीं किया जाए। ये अरिदमिया कभी-कभी वायरल इंफेक्शन के कारण भी हो सकते हैं, जिससे हार्ट का करंट सिस्टम डिफेक्टिव हो सकता है।
कुछ हार्ट की बीमारी आनुवंशिक भी होती है, जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी जिसमें अचानक मृत्यु संभव है। इसलिए हार्ट डिजीज या अचानक कार्डियक अरेस्ट की फैमिली हिस्ट्री, साथ ही बच्चों का जल्दी थक जाना या चक्कर आना, बेहोश हो जाना ये सबसे महत्वपूर्ण लक्षण हैं, जिससे समय रहते डायग्नोस करना जरूरी है। साथ ही स्कूलों में और सामान्य लोगों में इस तरह की इमर्जेंसी में CPR चेस्ट कंप्रेशन की ट्रेनिंग काफी जरूरी है।
…डॉ. हेमंत चतुर्वेदी, डायरेक्टर (नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी)
पहले भी सामने आए हैं ऐसे मामले
पहला मामला- MBBS स्टूडेंट की हार्टअटैक से मौत राजधानी जयपुर में MBBS कर रहे अलवर के 20 साल के स्टूडेंट की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। पेट में गैस की दिक्कत होने पर उसने दवाई ली और वह हॉस्टल के रूम में रेस्ट कर रहा था। इस दौरान उसके सीने में दर्द होने लगा।

चिकित्सकों ने मौत का कारण साइलेंट अटैक बताया। पंडितपुरा निवासी दसवीं कक्षा का छात्र यतेंद्र उपाध्याय सुबह स्कूल के कक्ष में जाते समय अचानक गैलरी में गिर गया था। स्कूल स्टॉफ ने तुरंत विद्यार्थी को संभाला तो वह बेहोशी की हालत में था।
डॉक्टर बोले- हो सकता है साइलेंट अटैक
बांदीकुई अस्पताल के डॉ. पवन जारवाल ने बताया था कि उसे सीपीआर दी गई, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। चिकित्सक के अनुसार, छात्र के परिजन ने बताया कि छात्र का दो साल पहले जेके लोन अस्पताल में इलाज चला था। कई दिन तक भर्ती रहा था। उस समय चिकित्सकों ने हृदय से संबंधित बीमारी होने की बात कही थी। पोस्टमॉर्टम कराने पर मौत का सही कारण सामने आता, लेकिन फिर भी साइलेंट अटैक हो सकता है।