किसान जीवराज सिंह शेखावत ने बताया, वे बकरियां पालते हैं। साथ ही वो इनसे पैदा होने वाले बकरों को भी पालकर बड़ा होने पर बेचते हैं। इसी तरह से एक बकरा वर्तमान में भी पाल रखा है, जो करीब 14 महीने का हो गया है। पिछले दिनों जब कोई बकरा खरीदने वाला आया, तब पता चला कि बकरे के कान पर उर्दू में अल्लाह लिखा हुआ है। इसके बाद किसान ने काफी जगहों इसे चेक भी करवाया है।
राजस्थान की महिलाओं के लिए बड़ी राहत, सरकार ने उद्यम प्रोत्साहन योजना की अवधि फिर बढ़ाई, जानिए क्या मिलेंगे फायदे
किसान ने अल्लाह लिखे होने की पुष्टि भी करवाई
इसकी पुष्टी होने के बाद अब कई लोग बकरे को खरीदने के लिए आ रहे हैं। साथ ही अब बकरे की कीमत भी लाखों रुपये से अधिक देने लग गए हैं। राजधानी जयपुर का एक व्यक्ति सात लाख रुपये तक भी देने के लिए तैयार है। किसान ने बताया कि अब बकरीद का त्योहार भी नजदीक आ रहा है। ऐसे में आए दिन बकरे के खरीदार आ रहे हैं।

कब है बकरीद का त्योहार
इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार, बकरीद हर साल जुल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। लेकिन क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित होता है, इसलिए इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है। 2025 में बकरीद छह या सात जून को मनाई जा सकती है, लेकिन इसकी सही तारीख चांद दिखने के बाद ही तय होगी। भारत समेत दुनिया के कई देशों में मुस्लिम समुदाय चांद के दिखाई देने के अनुसार बकरीद की तारीख तय करते हैं।

क्यों मनाई जाती है बकरीद?
बकरीद की शुरुआत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना से जुड़ी हुई है। इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दें। इब्राहिम ने बिना झिझके अपने बेटे इस्माईल को कुर्बान करने का निश्चय कर लिया। जैसे ही उन्होंने बलिदान देने की कोशिश की, अल्लाह ने उनके इरादे को देखकर उन्हें रोक दिया और उस जगह एक बकरे की कुर्बानी कराई। तभी से कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई और हर साल ईद उल अजहा पर कुर्बानी दी जाती है।
