scriptपिता ने मजदूरी कर रुपए जोड़ बेटी के सपने को पंख लगाए, बेटी ने निशानेबाजी में पदक जीत पाई नौकरी | The father gave wings to his daughter's dreams by saving money by working as a labourer, the daughter won a medal in shooting and got a job | Patrika News
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पिता ने मजदूरी कर रुपए जोड़ बेटी के सपने को पंख लगाए, बेटी ने निशानेबाजी में पदक जीत पाई नौकरी

बेटियों के संघर्ष की कहानियां : रहने व खाने तक के पैसे नहीं थे, पिता, नाना व कोच के सहयोग से जयंती कुमावत ने पाई सफलता
– पूजा सैनी ने एकेडमी में बच्चों को ट्रेनिंग दे सीखी शूटिंग, राष्ट्रीय निशानेबाजी में गोल्ड पर निशाना लगाया अब सेना में जाने की तैयारी

सीकरApr 27, 2025 / 12:47 pm

Yadvendra Singh Rathore

सीकर. एक मजदूर पिता ने अपनी बेटी के निशानेबाजी सीखने व सेना में जाने के सपने को पूरा करने के लिए रात-दिन एक कर 50 हजार रुपए जोड़े। पिता नरेश कुमावत ने बेटी के निशानेबाजी सीखने के सपने को पूरा करने के लिए पिछले 10 साल से अधूरा व बिना छत के पड़े मकान की छत नहीं डाली और ना ही मकान का आगे का काम करवाया। सबसे पहले बेटी का सीकर में शूटिंग एकेडमी में प्रवेश करवाया और उसे पैसों की चिंता नहीं करते हुए सिर्फ अपने लक्ष्य पर नजर गढ़ाए रखने का विश्वास दिलवाया ताकि बेटी अपने सपनों को पंख लगाकर पिता का नाम रोशन कर सके। निशानेबाजी में बेहतर प्रदर्शन के आधार जयंती कुमावत का फरवरी 2025 में असम राइफल में उत्कृष्ट महिला खिलाड़ी के तौर पर चयन हुआ।

भारतीय टीम में चयन हो मेडल लाना अगला लक्ष्य-

जयंती कुमावत ने 2021 में निशानेबाजी में 10 मीटर एयर पिस्टल व 50 मीटर फ्री पिस्टल स्पर्धा में ऐसी करामात दिखाई कि एक साल में ही भारतीय टीम की ट्रायल को क्वालिफाई कर लिया। इसके बाद जयंती कुमावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित इंडिया ओपन प्रतियोगिता में 2023 में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। वहीं 2023 में भारतीय निशानेबाजी टीम की ट्रायल में भी बेहतर प्रदर्शन कर ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना साधा। सरकारी नौकरी लगने के बाद अब जयंती का अगला लक्ष्य भारतीय टीम में सलेक्टर होकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग प्रतियोगिता में मेडल लाना है।

पिता करते हैं चेजा का काम-

जयंती के पिता झुंझुनूं जिले के खेतड़ी तहसील के जसरापुर गांव निवासी नरेश कुमावत ने बताया कि वे चेजा निर्माण का कार्य करते हैं। बेटी जयंती कुमावत के सपनों पंख लगाने के लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत कर पैसा जोड़ा। बात पैसे की ही नहीं थी, बल्कि बेटी को सीकर में कमरा दिलाकर अकेला रखने के लिए हिम्मत बंधाई और उसका सीकर के श्री कल्याण राउमा विद्यालय, स्कूल में प्रवेश करवाया।

काेचदीपेंद्रसिंह सांवलोदा ने तीन साल की फीस नहीं ली-

उन्होंने बताया कि शेखावाटी शूटिंग रैंज के कोच दीपेंद्रसिंह सांवलोदा लाडखानी ने कम पैसों में बेटी को बेहतरीन निशानेबाजी सिखाई और उनको व बेटी दोनों को हर तरह से सहयोग किया और हिम्मत बंधाई। यही नहीं उन्होंने परिवार की आर्थिक हालात का पता चलने पर तीन साल की डेढ़ लाख रुपए फीस तक नहीं ली। जयंती के नाना नाना सुबेदार बीरबल ने भी दोहिते के कमरे का किराया व खर्चा वहन किया। जिसके दम पर आज उनकी बेटी असम राइफल में खेल कोटे से भर्ती हो सकी। जयंती का कहना है कि सबसे पहले वह घर की छत डलवा कर मकान के निर्माण का पूरा करवाएंगी। जयंती की मां सुमन देवी गृहिणी हैं।

निशानेबाजी में हासिल किया गोल्ड मेडल, सेना में जाने का लक्ष्य-

कुछ ऐसी ही कहानी मऊ इंदौर में आयोजित हुई इंडियन ओपन शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल गोल्ड मेडल जीतने पूजा सैनी की है। पूजा ने 19 से 24 अप्रैल 2025 तक अजमेर में आयोजित सम्राट पृथ्वीराज चौहान मेमोरियल शूटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया है। कोच दीपेंद्रसिंह सांवलोदा ने बताया कि नवोड़ी कोठी, घाटवा डीडवाना-कुचामन की रहने वाली पूजा सैनी भी सीकर में अपने छोटे भाई व बहन के साथ सीकर में किराए के मकान में रहती हैं। आर्थिक समस्या होने व शूटिंग महंगा खेल होने के चलते पूजा ने शेखावाटी शूटिंग रैंज सीकर में लड़कियों व छोटे बच्चों को शूटिंग सीखाना शुरू किया और अपनी तैयारी भी जारी रखी। पूजा ने शेखावाटी यूनिवर्सिटी की निशानेबाजी टीम में भी रही हैं। पूजा के पिता शंकरलाल सैनी गांव में ऑटोरिक्शा का सर्विस सेंटर चलाते हैं। पूजा ने बताया कि चार भाई-बहनों में वह दूसरे नंबर की है। पूजा का सपना बीएसएफ में भर्ती होने का है, जिसके लिए वह लगातार मेहनत कर रही हैं।

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