अक्षय तृतीया आज: अक्षय तृतीया पर स्वयंसिद्ध मुहूर्त, सूर्य-चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहेंगे
विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार व उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक सिंगरौली. शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती […]


विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार व उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक
विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार व उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक सिंगरौली. शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। ज्योतिषविद् पंडित डॉ. एनपी मिश्र महाप्रबंधक शिवधाम मंदिर वैढऩ के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान, दान, जप, स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे कृतयुगादिष्ट तिथि भी कहते हैं।
परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार
भगवान परशुराम जन्मोत्सव वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। उनका जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था। चिरंजीवी माना गाया है और उनके जन्म का वक्त सतयुग और त्रेतायुग का संधिकाल का समय माना जाता है।
30 अप्रेल को पूजा करना रहेगा श्रेष्ठ
वैदिक पंचांग के मुताबिक वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रेल 2025 मंगलवार को शाम 5.32 बजे से आरंभ होगी और तृतीया तिथि का अंत 30 अप्रेल बुधवार को दोपहर 2.11 बजे होगा। चूंकि परशुराम का अवतार प्रदोष काल में हुआ था। इस वजह से 29 अप्रेल मंगलवार शाम काल में प्रकटोत्सव एवं 30 अप्रेल बुधवार को उदया तिथि अक्षय तृतीया में पूजा आराधना करना श्रेष्ठ रहेगा।
परशुराम जयंती पर बन रहे हैं शुभ योग
इस बार परशुराम जन्मोत्सव के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का विशेष संयोग बन रहा है। ये योग धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस दिन भक्तों को सुबह और शाम विशेषकर प्रदोष काल में भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिससे उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है। परशुराम जन्मोत्सव के दिन सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में आप इन योगों में पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पूजन विधि
परशुराम जन्मोत्सव पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं। भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। उनके जन्म की कथा का पाठ, हवन और दान करना भी इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है। भगवान परशुराम को ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के गुणों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा से ज्ञान, शक्ति और न्याय की प्राप्ति होती है।
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