चर्मरोग विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदूषण न केवल दमा, शुगर और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन रहा है, बल्कि इससे लोगों की त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते, एलर्जी और अन्य संक्रमण तेजी से बढ़ रहे हैं। हालात यह हैं कि स्किन डिजीज से परेशान लोग इलाज के लिए दूर-दूर तक भटकने को मजबूर हैं।
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सरकारी अस्पताल में नहीं स्किन स्पेशलिस्ट
सिंगरौली में स्किन रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन शासकीय जिला अस्पताल में कोई भी चर्मरोग विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में मरीज मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने को मजबूर हैं। सही उपचार न मिलने के कारण उनका रोग और अधिक बढ़ जाता है, जिसके बाद उन्हें अपनी जमा पूंजी खर्च कर बड़े शहरों में इलाज कराने जाना पड़ता है। एनसीएल अस्पताल में डॉक्टर, लेकिन आम मरीजों को फीस चुकानी पड़ती है
शहर में एनसीएल अस्पताल में एक स्किन स्पेशलिस्ट जरूर हैं, लेकिन वहां केवल एनसीएल कर्मचारियों को ही निःशुल्क इलाज मिलता है। आम मरीजों को इलाज के लिए फीस देनी पड़ती है और उन्हें लंबे समय तक इंतजार भी करना पड़ता है।
शहर में एनसीएल अस्पताल में एक स्किन स्पेशलिस्ट जरूर हैं, लेकिन वहां केवल एनसीएल कर्मचारियों को ही निःशुल्क इलाज मिलता है। आम मरीजों को इलाज के लिए फीस देनी पड़ती है और उन्हें लंबे समय तक इंतजार भी करना पड़ता है।
25 हजार खर्च करने के बाद भी नहीं मिला आराम
वैढन निवासी आलोक कुमार की बेटी को हल्के धब्बे होने लगे थे, जिसका इलाज शुरू में कराया गया, लेकिन बाद में ये धब्बे और अधिक फैल गए। आलोक अब तक 25 हजार रुपए से अधिक खर्च कर चुके हैं, लेकिन उनकी बेटी को कोई आराम नहीं मिला। इससे उनका पूरा परिवार चिंतित है। यह भी पढ़ें
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विशेषज्ञों की सलाह: स्वच्छता और मॉश्चराइजर जरूरी
चर्म रोग विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्किन डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में लोगों को अपनी त्वचा की देखभाल विशेष रूप से करनी चाहिए। डॉ. संदीप लाल, चर्मरोग विशेषज्ञ, सिंगरौली का कहना है कि ‘दिनभर की धूल-मिट्टी के संपर्क में रहने के बाद शरीर को साफ पानी और साबुन से अच्छी तरह धोना जरूरी है। साथ ही, त्वचा को सूखा न छोड़ें, बल्कि मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करें। इससे प्रदूषण की परत सीधे त्वचा पर असर नहीं डालेगी। साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है।’
प्रदूषण से स्किन इंफेक्शन का बढ़ता खतरा
सिंगरौली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण पहले से ही अधिक है। चिमनियों से निकलने वाला धुआं और सड़कों पर उड़ने वाली कोयले की डस्ट जब शरीर पर जम जाती है, तो त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। शरीर से निकलने वाला पसीना या गीले हिस्से पर जब कोयले की परत जमती है, तो इन्फेक्शन का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रारंभिक अवस्था में ही इन रोगों का सही उपचार हो जाए, तो समस्या बढ़ने से रोकी जा सकती है। लेकिन सरकारी अस्पताल में चर्मरोग विशेषज्ञ न होने के कारण लोग सही इलाज से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द स्किन स्पेशलिस्ट की नियुक्ति करनी चाहिए, ताकि सिंगरौली के आम नागरिकों को सही इलाज मिल सके।