जिम्मेदार बेखबर: शहर में आरओ वॉटर के नाम पर हो रहा खेल, पानी के शुद्धता की नहीं हो रही जांच
पंजीकृत केवल 10, संचालित हो रहे दर्जनभर से अधिक सिंगरौली. शहर सहित जिले भर में शुद्ध पानी के नाम पर सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही नलों से पर्याप्त व शुद्ध जल की आपूर्ति नहीं होने से शहर में आरओ के पानी की डिमांड बढ़ गई है। […]


जिम्मेदार बेखबर: शहर में आरओ वॉटर के नाम पर हो रहा खेल
पंजीकृत केवल 10, संचालित हो रहे दर्जनभर से अधिक सिंगरौली. शहर सहित जिले भर में शुद्ध पानी के नाम पर सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही नलों से पर्याप्त व शुद्ध जल की आपूर्ति नहीं होने से शहर में आरओ के पानी की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में कमाई के फेर में गली-गली आरओ प्लांट संचालित होने लगे हैं। आरओ प्लांट के संचालन के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग से पंजीयन होना आवश्यक है। इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया है लेकिन शहर सहित जिले भर में केवल दस आरओ प्लांट पंजीकृत हैं। जबकि संचालित दर्जनभर से अधिक हो रहे हैं।
संचालित हो रहे दर्जनभर से अधिक
इस कारोबार से जुड़े लोग शुद्धीकृत जल के नाम पर बिना जांच के पानी की होम डिलेवरी कर रहे हैं। घरों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक में सप्लाई होने वाले इस पानी को लोग सेहतमंद समझकर पी रहे हैं लेकिन उन्हें शायद पता नहीं कि आरओ वाटर के नाम पर सिर्फ नल का पानी ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। जिसकी शुद्धता की भी कोई गारंटी नहीं है। इससे सेहत के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।
पानी की गुणवत्ता जांचने की जरूरत
खाद्य औषधि विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों की समय-समय पर जांच व सैंपङ्क्षलग की जा रही है लेकिन पेयजल की गुणवत्ता जांचने की भी जरूरत महसूस की गई है। उपभोक्ता अपने स्तर पर पेयजल की जांच करवाना चाहे तो करवा सकता हैं लेकिन विभागीय स्तर पर इसके लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं है। इसके साथ ही निजी आरओ प्लांट के पानी की जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है। उपभोक्ता किस प्रकार का पानी पी रहे हैं वो शुद्ध है या नहीं। इसकी जानकारी तक उन्हें नहीं मिल पाती है।
इसलिए बढ़ रही आरओ पानी की मांग
जानकारों की मानें तो घटते जलस्तर के चलते पानी में फ्लोराइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। पानी में खारेपन की समस्या के चलते शहर ही नहीं गांवों में भी मिनरल वाटर का उपयोग करने की होड़ मची है। इस पानी का उपयोग स्टेट््स ङ्क्षसबल बन गया है। शादी समारोह के अलावा रोजमर्रा के कामों में भी इस पानी का खूब उपयोग हो रहा है। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को धता बताते हुए पानी के कारोबार से जुड़े लोग मिनरल वाटर के नाम पर साधारण पानी ठंडा कर को बेझिझक होकर बेच रहे हैं।
मानकों का नहीं किया जा रहा पालन
शहर सहित जिले भर में पानी पाउच व बाटल की पैङ्क्षकग कर पानी की सप्लाई की जा रही है। पानी पाउच व बॉटल पैक्ड पानी में निर्माण तिथि का भी स्पष्ट उल्लेख नहीं रहता है वहीं कुछ कंपनियों के पानी पाउच में आएसआई मार्का भी नहीं है। जबकि शासकीय मानक में यह अनिवार्य है। शहर सहित जिले मे शुद्ध पानी के नाम पर चल रहे पानी के इस काले कारोबार को लेकर जिम्मेदार अधिकारी भी बेखबर हैं। पानी की पैङ्क्षकग से लेकर विक्रय तक में मानकों की अनदेखी की जा रही है।
शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी
पीने के पानी में सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम की मात्रा का होना जरूरी है। इसकी कमी से लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। अशुद्ध पानी से शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
डॉ. संतोष कुमार, एमडी मेडिसिन
आरओ प्लांट का ऑनलाइन पंजीयन होता है। वर्तमान में 10 आरओ प्लांट पंजीकृत हैं। यदि इससे अधिक संचालित हो रहे हैं तो इसकी जांच करेंगे। साथ ही पैक्ड की जांच हमारे यहां से होती है कैन वाले पानी की जांच के लिए पीएचई विभाग अधिकृत है। शिकायत मिलने पर आरओ प्लांट की जांच की जाएगी।
मुकुंद झारिया, खाद्य सुरक्षा अधिकारी सिंगरौली
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