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गर्मी का कहर: एक ही दिन में 250 से ज्यादा बीमार

तापमान बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक के मरीज बढ़े , सामान्य से ज्यादा तापमान में पकने लगा शरीर का प्रोटीन मेडिसिन ओपीडी में रोजाना आ रहे चार से पांच मरीज चिकित्सक दर्ज नहीं करते हीट स्ट्रोक के केस गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ पारे के कारण शुगर, बीपी और सीओपीडी के मरीजों में ज्यादा खतरा बढ़ता जा […]

सीकरJun 14, 2025 / 11:42 am

Puran

तापमान बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक के मरीज बढ़े , सामान्य से ज्यादा तापमान में पकने लगा शरीर का प्रोटीन

मेडिसिन ओपीडी में रोजाना आ रहे चार से पांच मरीज

चिकित्सक दर्ज नहीं करते हीट स्ट्रोक के केस
गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ पारे के कारण शुगर, बीपी और सीओपीडी के मरीजों में ज्यादा खतरा बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटों में ही कल्याण अस्पताल में में 175 से अधिक केस बुखार और डायरिया के आ चुके हैं। इनमें से 35 मरीजों को भर्ती किया गया है। निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या को शामिल करें तो यह संख्या एक दिन में 250 से अधिक पहुंच गई है। दो दिन में ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट के आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों को रेफर किया गया। चिकित्सकों के अनुसार मेडिसिन ओपीडी में आने वाले मरीजों में से करीब 7 से 10 प्रतिशत मरीज गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर आ रहे हैं।
वहीं कल्याण अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 40 प्रतिशत से ज्यादा मरीज सर्न बर्न और एलर्जी के आ रहे हैं। इनमें से 5 से 8 प्रतिशत मरीज केवल लक्षणों को लेकर परामर्श ले रहे हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि अधिकतर मामले सामान्य हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। तेज बुखार और उल्टी दस्त के मरीजों की अधिक संख्या के कारण मेडिसिन वार्ड भर गया।
ये है लक्षण

चिकित्सकों के अनुसार गर्मी से प्रभावित चक्कर आना, त्वचा का सूखापन व लालिमा, मानसिक भ्रम, जी मिचलाना, पेट में मरोड़, दस्त, डिहाइड्रेशन या बुखार की समस्या जैसे लक्षणों वाले मरीज आ रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हो रहे हैं जो सीधे धूप में काम करते हैं। एक सप्ताह में अस्पतालों में उल्टी, दस्त, बुखार, हेपेटाइटिस ए के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। तेज गर्मी के कारण अस्पतालों में 20 फीसदी तक मरीज बढ़ गए हैं। ऐसे में गर्मी और गर्मी के कारण होने वाले लक्षण नजर आने पर सावधानी बरतें और फौरन बचाव के उपाय करें।
ये करें उपाय

तेज गर्मी में खाना जल्दी खराब होता है और बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे में जरा सा भी खराब खाना बीमार कर देता है। डायरिया, हैपेटाइटिस और टाइफाइड जैसी बीमारी इस वजह से बढ़ी हैं। इससे बचने के लिए अधिक से अधिक पानी और तरल पदार्थ का सेवन करें। साफ. सुथरा और घर का ही खाना खाएं। प्यास नहीं लगने पर भी लगातार पानी पीते रहें। हवादार और सूती कपड़े ही पहनें। एसी या कूलर से अचानक तेज धूप में बिल्कुल नहीं निकलें। शरीर के अंदरूनी तापमान को अधिक तरल व खाने की संतुलित मात्रा से नियंत्रित किया जा सकता है।
ये भी रखें ध्यान

डॉ. मोहित वोरा ने बताया कि मनुष्य के शरीर के तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। इसी पर हो शरीर के सभी अंदरूनी अंग काम करते हैं। लगातार धूप के संपर्क के आने से तापमान 45 डिग्री ज्यादा होने से अंदरूनी सिस्टम नाकाम हो जाता है। शरीर का तापमान 42 डिग्री से अधिक होने पर तापमान बढ़ता है और खून गर्म होने ब्लड प्रोटीन पकने लगता है। प्रोटीन पकने से स्नायु कड़क होने लगते हैं। सांस लेने के जरूरी अंग भी काम करना बंद कर देते हैं। शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। खून गाढ़ा हो जाता है। इससे बीपी लो हो जाता है। मस्तिष्क तक खून का संचार नहीं हो पाता है। इस दौरान लापरवाही से मौत भी हो सकती है।
सावधानी जरूरी है…

गर्मी के कारण अस्पताल के मेडिसिन विभाग में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। तेज गर्मी के कारण खाद्य पदार्थों में जल्द बैक्टिरिया पनप जाते हैं। लगातार धूप में काम करने से शरीर के अंदरूनी अंगों पर भी असर पड़ता है। कई बार मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में खास इस समय सावधानी की आवश्यकता है।
डॉ. मुकेश वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन, मेडिकल कॉलेज, सीकर

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