इसलिए ज्यादा रुझान प्रगतिशील किसान शिशुपाल सिंह खरबास ने बताया कि जिले में खरीफ की बुवाई का दौर जून-जुलाई में शुरू होता है। पारपरिक खेती के प्रति युवाओं का रुझान कम होने व ग्वार की फसल में कम मेहनत और अन्य फसलों से ज्यादा भाव होने के कारण किसानों का रुझान बढ़ रहा है। एक ओर जहां खरीफ की अन्य फसलों में निराई-गुडाई की जानी जरूरी होती है। इसके अलावा पककर तेयार होने पर ग्वार की कटाई और थ्रेसिंग भी अन्य फसलों की तुलना में सस्ती पड़ती है। हालांकि पशुपालन के लिए किसान बाजरे की बुवाई भी करेंगे। किसानों के पशुपालन से जुड़ा होने के लिए किसान देसी किस्म के बाजरे की बुवाई करेंगे।
सिंचाई की सुविधा वाले कई किसानों ने मूंगफली जैसी नकदी फसलों के लिए तैयारियों करनी शुरू की है। अधिकांश किसान इस बार प्री मानसून की बारिश के साथ ही अगेती बुवाई शुरू कर देंगे।
इनका कहना है कृषि खंड की ओर से खरीफ सीजन में किसानों को बांटने के लिए मिनीकिट का आवंटन किया जा रहा है। किसानों को गुणवत्ता परक खाद-बीज मिले इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया है। बुवाई के लक्ष्य मुयालय भेज दिए गए हैं।
रामनिवास पालीवाल, संयुक्त निदेशक कृषि