‘कलक्टर साहब की रिलीफ सोसायटी मीटिंग हुई बंद कमरे में, फिर अस्पताल में खानापूर्ति का निरीक्षण’
राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) की लंबे समय बाद राजकीय जिला चिकित्सालय श्रीगंगानगर में जिला कलक्टर डॉ.मंजू की अध्यक्षता में हुई।
श्रीगंगानगर.राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) की लंबे समय बाद मंगलवार को राजकीय जिला चिकित्सालय श्रीगंगानगर में जिला कलक्टर डॉ.मंजू की अध्यक्षता में हुई। यह बैठक पीएमओ ऑफिस में सुबह 10 से 11:30 बजे तक बंद कमरे में हुई, जिसमें चिकित्सकीय अव्यवस्थाओं के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। कलक्टर ने इस मीटिंग में मीडिया को दूर रखा गया, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से नहीं उठने दिया गया। इस मीटिंग में अस्पताल की बुनियादी सुविधाओं, स्टाफ की कमी और रोगियों की देखभाल की गुणवत्ता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इस मीटिंग में सीएमएचओ डॉ.अजय सिंगला व पीएमओ डॉ.दीपक मोंगा सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।
मीटिंग के बाद…खानापूर्ति का निरीक्षण
- मीटिंग की समाप्ति के बाद, डॉ. मंजू ने जच्चा-बच्चा वार्ड सहित अन्य भागों का निरीक्षण कर खानापूर्ति की। हालांकि,मीडिया को मीटिंग से बाहर रखा जाना लोगों के लिए एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या वास्तव में किसी समस्या का समाधान किया जा रहा है। राजकीय जिला चिकित्सालय आम जनता से सीधे जुड़ा हुआ है, और ऐसे में जरूरी है कि वहां की समस्याओं पर खुल कर चर्चा हो। विभाग के सामने अनेक मुद्दे होने के बावजूद,खुले फोरम से चर्चा में सहभागिता की कमी ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में नागरिकों को अस्पताल में हो रही गतिविधियों की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
रिलीफ सोसायटी के दानदाता सदस्यों का छीना हक
- राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) के पांच दानदाताओं को नई सरकार की ओर से सदस्य के रूप में हटा दिया है। ये दानदाता नियमित रूप से मीटिंग में शामिल होकर मरीजों, स्टाफ की समस्याओं और चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाते थे। हटाए गए सदस्यों में से एक गोपाल तरड़ का कहना है कि यह सरकार और जिला प्रशासन की मनमानी है,जो उन लोगों को बाहर निकाल रही है, जो सुधार की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसे एक गलत प्रक्रिया करार दिया।
चिकित्सालय की धर्मशाला में अनियमितताएं पर सवाल
- राजकीय जिला चिकित्सालय में एक करोड़ रुपए की लागत से सात साल पहले बनी धर्मशाला में कुछ कार्मिक अस्थायी रूप से निवास कर रहे हैं, जबकि रोगियों के परिजन निजी धर्मशालाओं में ठहरने या खुल्ले में रहने के लिए मजबूर हैं। गर्मी के मौसम में निर्धारित समय पर कुलरों की मरम्मत नहीं हुई है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा चिकित्सालय में कई अनियमितताएं बनी हुई हैं,लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हैरत की बात है कि इस समित के अध्यक्ष जिला कलक्टर स्वयं हैं, फिर भी सुधार के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
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