चौंकाने वाली हकीकत
झुंझुनूं के रायपुर अहीरान के राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल में 7 छात्र हैं, लेकिन 12 शिक्षक तैनात हैं। चार कक्षाएं खाली हैं, और शिक्षकों के वेतन पर 10 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। जिले में 40 स्कूलों में 10 से कम नामांकन है। हनुमानगढ़ के चक तीन टीकेडब्ल्यू प्राथमिक विद्यालय में 1 छात्र और 2 शिक्षक हैं, जबकि जिले के 68 स्कूलों में नामांकन 10 से कम है। कोटा के गोरधनपुरा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 4 बच्चों पर 6 शिक्षक हैं। करौली के रंगमहल और भम्बूपुरा जैसे स्कूलों में शून्य नामांकन है, फिर भी शिक्षक नियुक्त हैं, जिन्हें अन्य स्कूलों में भेजा गया है।
ऐस भी स्कूल जहां एक छात्र नहीं
अलवर के मूंडिया गांव के प्राथमिक स्कूल में 3 छात्र थे, जो सत्र के बीच गायब हो गए, और शिक्षक को दूसरी जगह भेज दिया गया। दौसा के गरस्या ढाणी सीकरी स्कूल में 2 छात्रों पर 2 शिक्षिकाएं हैं। टोंक के कल्याण नगर में 9 बच्चे और 2 शिक्षक हैं। करौली के नयापुरा आगिर्री में 4 बच्चों पर 2 शिक्षक तैनात हैं। कई स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जबकि आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। तबादलों का अटका खेल
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले वर्षों से लंबित हैं। हजारों शिक्षक गृह जिले या सुविधाजनक स्थानों पर तबादले की प्रतीक्षा में हैं। शिक्षा विभाग की उदासीनता से शिक्षक तनाव में हैं, जिसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
दस से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालय
जयपुर- 350 श्रीगंगानगर- 175 जैसलमेर- 171 भीलवाड़ा- 80 हनुमानगढ़- 68 ब्यावर- 44 सवाईमाधोपुर- 34 अलवर- 33 कोटा- 30 बूंदी- 30 टोंक- 20 दौसा- 20 करौली- 3
— जिन स्कूलों में छात्र नामांकन कम हैं और शिक्षकों की संख्या अधिक है। ऐसे स्कूलों से शिक्षकों को हटाकर उन स्कूलों में लगाया जाएगा जहां पर शिक्षकों की जरूरत है। तबादलों से रोक हटने के बाद यह फेरबदल किया जाएगा।
मदन दिलावर, शिक्षा मंत्री