राम राजा लोक के विस्तार में नगर परिषद की 64 दुकानें, रैन बसेरा के साथ ही कुछ अन्य संपत्तियों को हटाने का निर्णय लिया गया है। यह सभी संपत्तियां नगर परिषद द्वारा किराए पर दी गई हैं। इसके एवज में परिषद ने लोगों से जहां सिक्योरिटी डिपॉजिट कराया है तो इनसे अच्छा खासा किराया भी प्राप्त होता है। यह संपत्तियां नगर परिषद की आय का मुख्य जरिया है और इसी से यहां पर कार्यरत कर्मचारियों का वेतन निकाला जाता है। राम राजा लोक के निर्माण के लिए वर्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा जहां 22 दुकानों को खाली कराकर गिराया जा चुका है तो नगर परिषद का यात्री प्रतिक्षालय, रैन बसेरा और फूल बाग में स्थित दो आवासों को भी जमींदोज किया गया है। इसके बाद अन्य संपत्तियों को भी गिराया जाना है। इन संपत्तियों के गिरने से अब नगर परिषद ङ्क्षचता में है।
दुकानदार भी परेशान विदित हो कि राम राजा लोक के लिए पूरा परिसर खाली कराने के पूर्व पर्यटन विभाग द्वारा लगभग 100 दुकानों का निर्माण कराकर उन्हें आवंटित भी किया गया है, लेकिन यह दुकानें अब तक केवल उन दुकानदारों को दी गई हैं जो पूर्व में मंदिर की दुकानों में अपना व्यापार करते थे। अन्य दुकानदारों को इनका आवंटन नहीं किया गया है। ऐसे में न नगर परिषद की 22 दुकानें टूटने के बाद यह व्यापारी भी परेशान हैं। रणवीर ङ्क्षसह राजावत का कहना था कि उनका रेस्टोरेंट टूट जाने के बाद अब उनका काम बंद है। यही हाल दशरथ यादव का है। उनकी भी ऑटो पाट््र्स की दुकान बंद हो गई है।
कहां से देंगे कर्मचारियों को वेतन इन संपत्तियों के गिरने के बाद यदि नगर परिषद को दूसरी निर्मित होने वाली दुकानों का अधिकार नहीं दिया गया तो नगर परिषद की आर्थिक हालत खराब हो जाएगी। ऐसे में कर्मचारियों के वेतन तक की समस्या परिषद के सामने खड़ी हो जाएगी। इसे लेकर नगर परिषद के अध्यक्ष ने कलेक्टर को पत्र लिखकर निर्मित होने वाली दूसरी दुकानों को नगर परिषद के अधिकार में देने की मांग की है।
इनका कहना है &कलेक्टर को पत्र लिखकर नगर परिषद एवं दुकानदारों की समस्या से अवगत कराया है। प्रशासन से दुकानों के बदले दुकानें आवंटित करने की मांग की गई है। इसके लिए परिषद में भी एकमत होकर प्रस्ताव डाला गया है।
– शिशुपाल ङ्क्षसह राजपूत, अध्यक्ष, नगर परिषद ओरछा।