बताया गया कि जुलाई से अगस्त के बीच तेज हुई बारिश में बल्देवगढ़ के चंदेरी, मौने का खेरा, टीकमगढ़ का हनुमान सागर, परा खास, मौखरा, जतारा का कुराई, वर्माडांग के साथ अन्य स्कूलों की छतों से सीमेंट की परते बारिश के समय गिर रही थी। छात्रों की सुरक्षा के लिए उस कक्ष का बंद कर दिया था। वहीं चंदेरा के स्कूल की छत बारिश से गिर गई थी। गनीमत यह रही थी कि उस समय कक्षाएं संचालित नहीं थी।
विभाग के अधिकारी ने बताया कि टीकमगढ़ जिले में प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल १५९२ और निवाड़ी में ६५३ है। दोनों जिलों में २० प्रतिशत से अधिक स्कूल जर्जर है। जिसकी जानकारी है। टीकमगढ़ में २७८ और निवाड़ी जिले में ८० से अधिक स्कूल जर्जर बने है। दोनों जिलों की रिपोर्ट तैयार की गई है।
कलेक्टर के निर्देश पर जर्जर स्कूलों का सर्वे किया गया था। जिले २७८ स्कूलों जर्जर है, उनका प्रस्ताव अक्टूबर में तैयार करके भेजा गया था। जनवरी के अंत में वार्षिक विकास योजना में फिर से प्रस्ताव रखा जाएगा। इन स्कूलों में ५० हजार से लेकर पांच लाख रुपए तक खर्चा आएगा। बारिश के पहले निर्माण कार्य कराया जाएगा।
पीआर त्रिपाठी, सर्व शिक्षा अभियान डीपीसी कार्यालय टीकमगढ।