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उदयपुर

Hanuman Jayanti : राजस्थान में कहां से शुरू हुआ था देशभर में गूंजने वाला हनुमानजी का जयकारा, जानें

Hanuman Jayanti : राजस्थान सहित पूरे देश में आज हनुमान जयंती मनाई जा रही है। क्या आप जानते हैं कि देशभर में गूंजने वाला हनुमानजी का जयकारा राजस्थान में कहां से शुरू हुआ था? जानें हनुमानजी और राजस्थान का कनेक्शन।

उदयपुरApr 12, 2025 / 09:54 am

Sanjay Kumar Srivastava

Hanuman Jayanti Rajasthan Where Started Resonates Across Country Hanumanji Chant Know
Hanuman Jayanti : मेवाड़ में रामभक्त हनुमान की स्थापना अनेक रूपों में रही हैं। यहां दक्षिण, पश्चिम, उत्तर और पूर्व मुखी हनुमानजी की प्रतिमाएं मौजूद हैं। पिछोला के तट पर हनुमान घाट, हनुमान वाड़ी के साथ ही बजरंग व्यायामशाला भी मेवाड़ में मौजूद है। देशभर में गूंजने वाला हनुमानजी का जयकारा राम-लक्ष्मण-जानकी, जय बोलो हनुमानजी भी मेवाड़ से ही शुरू हुआ। यहां गत सौ वर्षों से मेवाड़ी में मुंदड़ी भी गाई जा रही है।

चारों दिशाओं में हनुमानजी स्थापित किए गए

इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि 1850 के आस-पास उदयपुर में रेजीडेंसी बना। रेजिडेंट ने यहां बैठना शुरू किया तो शहर में एक अजीब आतंक था। तब लोगों ने रेजिडेंट को उत्तर देने के लिए रेजीडेंसी के आस-पास चारों दिशाओं में हनुमानजी स्थापित किए। मान्यता थी कि हनुमानजी रेजिडेंट पर नजर रखेंगे और हमारा कल्याण करेंगे।

मेवाड़ में शुरू हुआ हनुमन्न नाटक

जुगनू ने बताया कि महाराणा भीमसिंह के काल में अयोध्या से संत हनुमानदास उदयपुर पधारे। उनको लोगों ने पवन पुत्र जैसा सम्मान दिया और मीठारामजी के मठ की तरह आमेट, आकोला और उदयपुर में हनुमानजी सहित रामदरबार की स्थापना की। इसी समय से हनुमान नाटक (हनुमन्न नाटक) के रूप में रामलीला शुरू हुई। इसमें जिले के गुड़ली, सिंहाड़, चंदेसरा, नउवा चंदेसरा, वीरधोतिया, सांगवा आदि गांवों के लोगों ने रासधारी शैली में रामलीला का मंचन शुरू किया। गांवों में मंचन के दौरान हनुमान उड़ान का खेल होता था। इसमें रस्सी के सहारे हनुमानजी संजीवनी लिए जलती हुई मशालों के साथ नीचे उतरते थे।
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दास से लेकर खास तक

मेवाड़ में बाईजी राज का कुंड पर मंदिर के गर्भगृह के बाहर करबद्ध मुद्रा में सेव्य भाव लिए हनुमानजी खड़े हैं। जो विरले ही दिखाई देते है। यहां दातापति, रोकड़िया (चारभुजा) तक विराजित है। साथ ही जिले भर में कई स्थानों पर हनुमानजी के विभिन्न तरह की प्रतिमाएं हैं।
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ये परंपराएं मेवाड़ से हुई शुरू

उदयपुर में सर्वप्रथम गृहप्रवेश पर सुंदरकांड करने की परंपरा शुरू हुई। संत हनुमानदासजी के समय राम-लक्ष्मण-जानकी, जय बोलो हनुमान… का जयकारा भी मेवाड़ से शुरू हुआ। जो वर्तमान में पूरे देश में लगाया जाता है। मेवाड़ी भाषा में करीब सौ वर्ष पूर्व मुंदडी गानी शुरू हुई। जो हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका में सीता माता को अंगूठी प्रदान करने का वर्णन है। इसके बोल सीता माता री गोदी में हनुमत डारी मुंदड़ी…है। इसी प्रकार शहर से करीब 22 किमी दूर स्थित 10वीं शताब्दी के सास-बहू मंदिर में लंका दहन का चित्रण भी है।
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यहां पर हैं 70 करोड़ रामनाम का संग्रह

पंचदेवरिया स्थित हनुमान मंदिर में स्व. जमनालाल सुखवाल ने 1975 में रामनाम महिमा बैंक स्थापित किया। उनके पुत्र पीयूष सुखवाल ने बताया कि अब तक बैंक में 70 करोड़ राम नाम लिखित कॉपियां प्राप्त हुई हैं। यहां रामनाम परिक्रमा स्तंभ बना रखा है। प्रतिवर्ष बैंक में 3 करोड़ रामनाम एकत्रित होते हैं। कॉपियों का निशुल्क वितरण किया जाता है।

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