उदयपुर के बांध-तालाब का भी पेटा उगडऩे लगा है, जबकि गर्मी से पहले फतहसागर और पिछोला में ऊपरी बांधों का पानी लाया गया था। यह व्यवस्था अन्य किसी जल स्रोत पर नहीं है। स्थिति यह है कि छह माह के दरमियान बांधों में आधे से ज्यादा पानी खाली हो चुका है। प्रदेश के कुल 691 बांधों में से 335 खाली हो चुके हैं, 349 आधे खाली है, जबकि महज 7 बांध ही भरे हुए हैं।
यह भी जानें स्थिति
55.10 प्रतिशत ही पानी प्रदेश के बड़े 22 बांधों में 22.71 प्रतिशत ही भरे है प्रदेश के 261 मध्यम बांध 11.73 प्रतिशत पानी बचा 408 छोटे बांध-तालाबों में 42.36 प्रतिशत पानी बचा सभी बांध-तालाबों में 87.16 % पानी था 6 माह पहले बांध-तालाबों में 43.45 प्रतिशत पानी अप्रेल में था प्रदेश में
पानी खत्म होने से पहले आए मानसून
पिछले बरसों में मानसूनी बरसात के अलावा भी पानी मिलता रहा है, जिससे जल स्रोत कम खाली हुए। हालांकि गर्मी तेज होने पर वाष्पीकरण भी तेज होता है। रबी फसल में सिंचाई का समय भी पूरा हो चुका है। अब जो पानी बचा है, वह पेयजल के अलावा वाष्पीकरण में जाएगा। यह पानी खत्म होने से पहले मानसून आना चाहिए, जिससे बांध फिर से भर जाए। –विनित शर्मा, रिटायर्ड एक्सइएन, जल संसाधन
प्रदेश से बाहर हमारे बांधों की स्थिति
-पंजाब स्थित भाकड़ा बांध में 35.62 फीसदी पानी है, जबकि पिछले मानसून में भराने से पहले 50.20 फीसदी पानी था। -पंजाब स्थित पोंग बांध में 23.26 फीसदी पानी है, जबकि जबकि पिछले मानसून में भराने से पहले 32.95 फीसदी पानी था। -पंजाब स्थित रणजीतसागर बांध में 44.27 फीसदी पानी है, जबकि जबकि पिछले मानसून में भराने से पहले 50.06 फीसदी पानी था।
-मध्यप्रदेश स्थित गांधीसागर बांध में 63.03 फीसदी पानी है, जबकि जबकि पिछले मानसून में भराने से पहले 58.37 फीसदी पानी था।