मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में नशामुक्ति की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शराबबंदी की घोषणा की जिसे 24 जनवरी 2025 को महेश्वर में हुई केबिनेट ने मंजूरी दी थी। इसके तहत उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मण्डलेश्वर, ओरछा, मैहर, चित्रकूट, दतिया, पन्ना, मण्डला, मुलताई, मंदसौर और अमरकंटक की नगरीय सीमा में तथा सलकनपुर, कुण्डलपुर, बांदकपुर, बरमानकलां, बरमानखुर्द और लिंगा की ग्राम पंचायत सीमा में सभी शराब दुकानों एवं बार को बंद किया जाएगा। इन सभी 19 क्षेत्रों को पूर्णतः पवित्र घोषित करते हुए पूर्ण शराब बंदी 1 अप्रैल 2025 से लागू की जा रही है।
केबिनेट ने जिन धार्मिक स्थानों पर शराब बंदी का निर्णय लिया उसमें एक नगर निगम, 6 नगर पालिकाएं, 6 नगर परिषदें और 6 ग्राम पंचायतें हैं। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन, प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा के उद्गमस्थल अमरकंटक, महेश्वर, ओरछा रामराजा मंदिर क्षेत्र, मंडला में सतधारा क्षेत्र, मुलताई में ताप्ती उद्गम क्षेत्र, पीतांबरा देवी पीठ दतिया, जबलपुर भेड़ाघाट क्षेत्र, चित्रकूट, मैहर, सलकनपुर, सांची, मंडलेश्वर, वान्द्रावान, खजुराहो, नलखेड़ा, पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र मंदसौर, बरमान घाट और पन्ना में पूर्ण शराब बंदी रहेगी।
उज्जैन में शराबबंदी लागू होगी। यहां के विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में कालभैरव को मदिरा भोग लगाने की परंपरा है। रोज हजारों भक्त बाबा कालभैरव को मदिरा चढ़ाते हैं। फिलहाल भक्तों को भगवान कालभैरव के लिए बाहर से मदिरा लानी पड़ेगी।
इस बीच उज्जैन के कलेक्टर ने कालभैरव को मदिरा भोग की परंपरा का ध्यान रखते हुए मंदिर के पास वाली शराब दुकान संचालित रखने का सरकार से आग्रह किया है। उन्होंने इसके लिए पत्र लिखा है जिसपर राज्य सरकार ने अभी तक फैसला नहीं लिया है।
बता दें कि कालभैरव को मदिरा भोग की परंपरा सदियों से चल रही है। मंदिर के पुजारी पंडित ओम प्रकाश चतुर्वेदी बताते हैं कि कोरोना काल में भी कालभैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता रहा था। भक्तों के साथ ही मंदिर में कालभैरव भगवान को चार बार मदिरा भोग लगाया जता है।