क्यों हुआ यह अभिषेक
सचिन रावत के अनुसार यह अभिषेक न तो दिखावा था और न ही कोई राजनीतिक नाटक। “यह हमारा आभार प्रकट करने का एक सांकेतिक तरीका है। राहुल गांधी ने हाशिये पर खड़े वर्गों को उनका हक दिलाने की दिशा में जो पहल की है, वह ऐतिहासिक है।” गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने देशभर में जातिगत जनगणना की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक पार्टी सक्रिय रही है। राहुल गांधी ने लगातार यह कहा है कि “जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।”
लखनऊ प्रदेश में कार्यालय कार्यक्रम, कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए
सुबह 11 बजे से कांग्रेस मुख्यालय, लखनऊ में कार्यकर्ता जुटने शुरू हो गए। एक बड़े फ्रेम में लगी राहुल गांधी की तस्वीर को फूलों से सजाया गया। इसके बाद विधिवत दुग्धाभिषेक किया गया, जैसे किसी देवता की मूर्ति का पूजन हो रहा हो।
- “जाति की गिनती अब होगी पूरी, राहुल गांधी देंगे मजबूरी से मुक्ति”
- “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी”
- “राहुल तेरे विचारों से, न्याय मिलेगा हजारों को”
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज
इस आयोजन को लेकर जहां कांग्रेस समर्थक इसे “नैतिक आभार प्रकट करने की अभिव्यक्ति” कह रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों ने इसे दिखावा और नाटकीयता बताया है। बीजेपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने कहा, “यह सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश है। कांग्रेस खुद सत्ता में रहते हुए कभी जातिगत जनगणना की हिमायत नहीं करती थी।” समाजवादी पार्टी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन संतुलित भाषा में। प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “हम जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं, लेकिन इस तरह के सांकेतिक प्रदर्शन राजनीतिक लाभ के लिए किए जा रहे हैं।”
सामाजिक संगठनों ने जताया समर्थन
लखनऊ के कई सामाजिक संगठनों ने राहुल गांधी की पहल की सराहना की है। OBC महासभा, दलित स्वाभिमान संगठन, पिछड़ा वर्ग मंच जैसे कई संगठन इस कार्यक्रम में शामिल भी हुए। उनका कहना है कि जब तक जाति आधारित डेटा सामने नहीं आएगा, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा है।
क्या है जातिगत जनगणना का मुद्दा
जातिगत जनगणना की मांग नई नहीं है। पिछली बार भारत में जातिगत आंकड़े 1931 में संकलित किए गए थे। 2011 में सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) हुई थी लेकिन उसमें जाति डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया। राहुल गांधी और कांग्रेस अब यह माँग कर रहे हैं कि आगामी जनगणना में जातिगत विवरण शामिल किया जाए, जिससे नीति निर्माण में सामाजिक प्रतिनिधित्व का सही आकलन हो सके।
राहुल गांधी की भूमिका
राहुल गांधी ने बिहार, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जातिगत सर्वेक्षण की हिमायत की और उसे लागू करने में पार्टी सरकारों को निर्देशित किया। “पिछड़े वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार हक मिलना चाहिए,” यह राहुल का स्पष्ट स्टैंड रहा है।
आम जनता की राय
लखनऊ के आम नागरिकों की भी इस मुद्दे पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। अमीनाबाद में फल बेचने वाले रमजान अली का कहना है, “अगर जाति की गिनती होगी तो सरकार को समझ आएगा कि कौन वंचित है।” वहीं हजरतगंज निवासी छात्रा आराध्या शुक्ला ने कहा, “इससे समाज में और भेदभाव बढ़ सकता है।” जातिगत जनगणना 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद भी एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय की कुंजी मानती है जबकि भाजपा इससे दूरी बनाए हुए है। लेकिन इस आयोजन ने संकेत दे दिया है कि आने वाले चुनावी समर में यह मुद्दा एक बार फिर प्रमुख रहेगा।