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निर्दलीय प्रत्याशी नवीन गोयल ने विधानसभा चुनाव को बनाया रोचक 

गुरुग्राम विधानसभा सीट का त्रिकोणीय मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी नवीन गोयल के पक्ष में जाता क्यों दिख रहा है।

महाराजगंजOct 02, 2024 / 08:03 am

anoop shukla

गुरुग्राम विधानसभा चुनाव में उतरे नवीन गोयल ने मुकाबला रोचक बना दिया है। यहां पर बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे मुकेश शर्मा तो कांग्रेस ने पंजाबी कार्ड खेलते हुए मोहित ग्रोवर पर दांव लगाया है। इस सीट पर 13 चुनाव में से 2 बार निर्दलीय जीते हैं। इस बार भी निर्दलीय नवीन गोयल ने मुक़ाबले को रोचक बना दिया है। 
बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे पर तो कांग्रेस ने पंजाबी चेहरे पर दांव लगाकर जातिगत समीकरण का फायदा उठाने की कोशिश की है। वहीं बीजेपी की ओर से टिकट की रेस में चल रहे नवीन गोयल का जब टिकट कट गया तो वह जनता के बीच गए और उनके कहने पर निर्दलीय चुनावी रण में उतर गए। इस सीट से 2 बार निर्दलीय चुनाव जीतने के साथ ही सरकार का हिस्सा भी बने। 2000 में गोपीचंद गहलोत निर्दलीय चुनाव जीतकर डिप्टी स्पीकर बने तो 2009 में सुखबीर कटारिया निर्दलीय चुनाव जीतने उपरांत हुड्डा सरकार में खेल मंत्री बने।
वैश्य समाज से ताल्लुक रखने वाले नवीन गोयल बीजेपी के मूल कैडर वोटर्स को अपने पाले में करने का जतन कर रहे हैं। पिछले दो चुनाव 20014, 2019 में यहां से क्रमश : बीजेपी के वैश्य प्रत्याशी उमेश अग्रवाल व सुधीर सिंगला विधायक का चुनाव जीते थे। इसी के चलते वैश्य समाज इस बार भी समाज से टिकट देने की मांग कर रहे थे। वहीं ब्राह्मण समाज अपने विधायक के लिए महापंचायत तक कर चुके थे।
नवीन गोयल ने पंजाबी नेताओं के माध्यम से पंजाबी वोट बैंक में मजबूत पकड़ बनाई है, तो बीजेपी के दलित नेता सुमेर सिंह तंवर के जरिए दलित वोट तो अनुराधा शर्मा के माध्यम से ब्राह्मण समाज को साध लिया है। नवीन गोयल ने अपनी लोकप्रियता के चलते गुरुग्राम सीट पर वह नंबर वन पर बताए जा रहे हैं। 
गुरुग्राम सीट पर कैसे हैं वोटर्स 

गुरुग्राम सीट पर सर्वाधिक वोटर 1 लाख पंजाबी है, वहीं जाट, ब्राह्मण, वैश्य करीब 40 से 50 हजार के करीब है। कांग्रेस प्रत्याशी मोहित ग्रोवर ने अपना पूरा जोर अपनी ही बिरादरी पर लगा रखा है। नवीन वैश्य व कुछ पंजाबी नेताओं के माध्यम से पंजाब वोट अपने पाले में करने में लगे हैं। बीजेपी के मुकेश शर्मा के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नितिन गडकरी, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी व प्रदेश के पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सभा कर चुके हैं।
प्रत्याशियों की स्थिति 

निर्दलीय नवीन गोयल 11 साल से बीजेपी से जुड़े हैं और सामाजिक कार्यों के साथ ही लोगों की बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई लड़ते आए हैं। उनसे हर वर्ग के साथ ही वैश्य समाज उनके पाले में नजर आ रहा है। इस सीट से दो निर्दलीय चुनाव जीतने के चलते वह भी जीत का नारा बुलंद कर रहे हैं। हालांकि अभी गुरुग्राम की जनता मौन नजर आ रही है, सभी के साथ भीड़ तो दिख रही है लेकिन किसका वोट कहां जाएगा यह तो बाद में ही पता चलेगा। नवीन गोयल को हर वर्ग, समाज का साथ पूरी तरह मिलने से उन्होंने बीजेपी-कांग्रेस की नींद उड़ाकर रख दी है। 
सर्वाधिक 6 बार कांग्रेस ने गुरुग्राम का रण जीता

1967 से 2019 तक हुए 13 चुनाव में सर्वाधिक 6 बार कांग्रेस  ने गुरुग्राम का रण जीता है। वहीं बीजेपी 3 बार तो निर्दलीय 2 बार, 1-1 बार  भारतीय जनसंघ व जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। निर्दलीय की बात करें तो 2000 के चुनाव में गोपीचंद गहलोत तो 2009 में सुखबीर कटारिया निर्दलीय चुनाव लड़कर यहां से जीत हासिल कर चुके हैं।

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