Gold Card बेचकर अमेरिकी नागरिकता देना कहीं पड़ ना जाए महंगा, अमेरिका को झेलने पड़ सकते हैं ये 5 नुकसान
Gold Card for US Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50 लाख डॉलर की कीमत पर ग्रीन कार्ड बेचने को कहा है। कार्ड खरीदकर हमेशा के लिए अमेरिकी नागरिकता पाई जा सकती है।
US Gold Card: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमेशा के लिए अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए विदेशी लोगों को गोल्ड कार्ड का ऑफर दिया है। ये गोल्ड कार्ड 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 44 करोड़ रुपए में मिलेगा। जो बाहर का नागरिक ये गोल्ड कार्ड खरीदेगा (Gold Card for US Citizenship) उसे अमेरिकी नागरिकता के साथ कुछ विशेषाधिकार भी दिए जाएंगे। ये गोल्ड कार्ड प्रोग्राम अमेरिका के EB-5 वीज़ा कार्यक्रम (EB-5 Visa Program) की जगह लेगी। अब इस गोल्ड कार्ड को लेकर कई बातें चर्चाओं का विषय बन रही हैं। जानकारों का कहना है कि इसमें कई सियासी और कानूनी पेंच तो है हीं साथ ही कई अनैतिक कार्यों में बढ़ोतरी की भी संभावना दिखाई दे रही है जिनसे आने वाले समय में अमेरिका को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में ये तो कहा था कि ये गोल्ड कार्ड (Gold Card of US Citizenship) सिर्फ अमीर लोगों के लिए है जो अमेरिका में इंवेस्टमेंट करना चाहते हैं या फिर ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा करना चाहते हैं। लेकिन जानकारों ने इस EB-5 वीज़ा के नए कार्यक्रम से कई मुश्किलें पैदा होने की संभावना जताई है। समस्याओं में जाने से पहले आपको ये जानना होगा कि आखिर EB-5 वीज़ा का मूल कार्यक्रम था क्या था और ट्रंप ने क्यों इस बदलकर नए कार्यक्रम Gold Visa लाने की बात कही है।
क्या है EB-5 कार्यक्रम?
1990 में अमेरिका में विदेशी निवेशकों के लिए खास वीज़ा कार्यक्रम तैयार किया था जिसका नाम है EB-5 Visa Program. इसमें बाहर से आने वाले निवेशकों के लिए दो चीजें अनिवार्य की गईं थीं। वो ये कि उन्हें पहले 8 लाख डॉलर से 10 लाख डॉलर के बीच अमेरिका में निवेश करना होगा और फिर एक याचिका लगानी होगी, जिसमें ये बताना होगा कि वे अमेरिका में वे ‘अमेरिकी लोगों’ के लिए कम से कम 10 नौकरियां पैदा कर सकते हैं। जब अमेरिकी सरकार इसे स्वीकार कर लेती है तब उसे इस कार्यक्रम को योग्य माना जाता है। बता दें कि इस कार्यक्रम में भी सिर्फ 9,940 लोग ही हिस्सा ले सकते हैं।
वहीं इस प्रक्रिया के दो साल बाद निवेशक को दोबारा सरकार से अनुरोध कर सकता है कि उन्होंने अमेरिका में कम से कम 10 नौकरियां पैदा कर ली हैं अब वे ग्रीन कार्ड (EB-5) पर लगी शर्तें हटा दें। इन शर्तों को हटाने के बाद ही निवेशक को ग्रीन कार्ड मिल पाात था। आंकड़ों के मुताबिक 2007 से अब तक लगभग पहले चरण में 100,000 निवेशक याचिकाएं मिली हैं। 2007 से 5 में से 1 से ज्यादा निवेशकों को पहले चरण में खारिज कर दिया गया था वहीं लगभग 10 में से एक को दूसरे चरण में खारिज कर दिया गया था।
ट्रंप प्रशासन ने कहा ये कार्यक्रम धोखाधड़ी वाला
EB-5 प्रोग्राम के नए कार्यक्रम Gold Card को लाने की वजह ट्रंप प्रशासन ने ये बताई है कि ये प्रोग्राम सिर्फ कम कीमत पर ग्रीन कार्ड देने का एक तरीका है। प्रशासन ने इसे धोखाधड़ी से भरा हुआ और बकवास कार्यक्रम बताया है।
Gold Card से अमेरिका को क्या हो सकता है नुकसान?
इधर जानकारों का कहना है कि पुराने कार्यक्रम में ग्रीन कार्ड को लेकर जो अनिवार्यता है वो गोल्ड कार्ड में रहेंगी या नहीं, इस पर संशय है। ऐसे में इस ग्रीन कार्ड से कुछ बड़ी परेशानियां अमेरिका में आ सकती हैं जैसे-
1- निवेश की अनिवार्यता अगर नहीं होती है तो कई इनएक्टिव यानी निष्क्रिय निवेशक ये गोल्ड कार्ड पा लेंगे क्योंकि उनके लिए 44 करोड़ रुपए कुछ ज्यादा रकम नहीं। ऐसे में अमेरिका में इस EB-5 कार्यक्रम का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। क्योंकि ग्रीन कार्ड का उद्देश्य बाहर से आने वाले लोगों के जरिए अमेरिका का अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
2- अगर ऐसा होता है कि अमीर लोग सिर्फ पैसा देकर अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बगैर कोई योगदान दिए नागरिकता समेत विशेषाधिकार पा लेंगे तो ये अमेरिका में एक घोर भेदभाव की स्थिति को पैदा कर सकता है।
3- स्किल्स और एलिजिबिलिटी को तरजीह ना देने पर कोई भी ऐसा अमीर शख्स अमेरिकी नागरिक बन सकता है जो मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों को अमेरिका में अंजाम दे सकता है। जिससे इस तरह के संगीन अपराधों की संख्या बढ़ सकती है, ऐसे में अमेरिकी सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं जो दुनिया में अमेरिका की छवि खराब सकती है।
4- ग्रीन कार्ड की सीमाएं और नियम कांग्रेस के आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम के जरिए स्थापित की गईं थीं। ऐसे में आव्रजन नीति में नए Gold Card के नियमों का लागू करने के लिए उसमें बदलाव करना होगा जिसे कांग्रेस में पास कराना होगा। हालांकि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में बहुमत है लेकिन पहले से ही आव्रजन के खिलाफ ट्रंप के साथियों के विरोध को देखते हुए लग रहा है कि शायद ही इसे पार्टी सांसद आसानी से पास करा पाएंगे। दूसरी तरफ कमला हैरिस की डेमोक्रेटिक पार्टी इस गोल्ड कार्ड का विरोध ही कर सकती है।
5- आंकड़ों के मुताबिक 5 मिलियन डॉलर कीमत की इस गोल्ड कार्ड को कितनी संख्या में लोग खरीदते हैं ये भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि सिर्फ 8 लाख डॉलर के निवेश पर ही ग्रीन कार्ड खरीदने वालों की संख्या बेहद कम हैं। ऐसे में इतनी बड़ी कीमत पर इस कार्ड को खरीदने के लिए कितने लोग राज़ी होंगे ये अभी कहना थोड़ा मुश्किल है।
गोल्ड कार्ड पर भारतीयों का क्या रुख?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप ने इस गोल्ड कार्ड की कीमत 50 लाख डॉलर यानी लगभग 44 करोड़ रुपए रखी है। शायद ही भारतीय इसमें रुचि लें। क्योंकि भारतीय पहले से ही ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे हुए हैं, ऐसे में वो इस 50 लाख डॉलर को खरीदने में शायद ही दिलचस्पी दिखाएंगे। अगर भारत की बात करें तो साल 2023 में सिर्फ 631 भारतीयों ने ही कांसुलर प्रोसेसिंग का इस्तेमाल कर ग्रीन कार्ड (EB-5 कार्यक्रम के तहत) हासिल किया था।