भारत-क़तर रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की, और दोनों देशों ने दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी रोकने के लिए एक संशोधित समझौते पर भी दस्तखत भी किए। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के अनुसार, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने हैदराबाद हाउस में व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत-कतर रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय लिया और व्यापार, ऊर्जा, निवेश, नवाचार, प्रौद्योगिकी, खाद्य सुरक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच संबंधों पर बात की।
अमीर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया
इससे पहले, कतर के अमीर को भारत आगमन पर राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। इस मौके कतर के अमीर के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था, जिसमें मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। कतर के अमीर ने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ कई बैठकों में भाग लिया। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्ते और मज़बूत करेगी।
एलपीजी के मामले में क़तर भारत का प्रमुख पार्टनर
गौरतलब है कि भारत कतर पर बहुत हद तक एलएनजी ( लिक्विफाइड नेचुरल गैस) और एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) के लिए निर्भर है। वहीं सन 2024 के इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के आंकड़ों के मुुताबिक, भारत में वर्तमान में 65 अरब घन मीटर गैस की खपत हो रही है, और अगले 6 बरसों में यह आंकड़ा बढ़ कर 120 अरब घन मीटर तक पहुंच सकता है। ऐसे में कतर एक विश्वस्त पार्टनर बन कर भारत की गैस की जरूरतें पूरी करता है। एक और बात, सन 2022-23 में भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मीट्रिक टन एलएनजी मंगवाई थी, जिसकी कीमत 8.32 अरब डॉलर थी। इसके अलावा, एलपीजी के मामले में भी कतर भारत का प्रमुख पार्टनर है, और 2022-23 में भारत ने कतर से 5.33 मिलियन मीट्रिक टन एलपीजी मंगवाई थी, जिसकी कीमत 4.04 अरब डॉलर थी।