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भारत के पड़ोसी देश में फिर तख्तापलट की अटकलें, आगे क्या मोड़ ले सकती है बांग्लादेश की राजनीति?

More Trouble For Interim Yunus Government: बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। देश में तख्तापलट की अटकलें भी चल रही हैं। बांग्लादेश की राजनीति आगे क्या मोड़ ले सकती है? आइए जानते हैं।

भारतMar 27, 2025 / 02:18 pm

Tanay Mishra

Political chaos in Bangladesh

Political chaos in Bangladesh

भारत (India) के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले कुछ समय से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती ही जा रही है। अमेरिकी फंडिंग (US Funding) बंद होने की वजह से पहले ही मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) की परेशानी बढ़ गई थी, लेकिन अब तख्तापलट की अटकलें चल रही हैं, जिनसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लीडर की परेशानी और बढ़ सकती हैं। यूनुस ने भले ही कह दिया हो कि ये सिर्फ अटकलें हैं, लेकिन बांग्लादेश की जनता और राजनीतिक दलों का यूनुस सरकार से भरोसा कम होना और पिछले कुछ दिन में राजधानी ढाका (Dhaka) में सेना की बढ़ती गतिविधियों के कई मायने हैं। ढाका में आपातकाल (Emergency) की अटकलें भी लगाई जा रही हैं और कहा जा रहा है कि देश में आने वाले समय में राष्ट्रपति शासन (President Rule) भी लगाया जा सकता है।

कैसे बढ़ी यूनुस की मुश्किलें?

बांग्लादेश में मुहमम्द यूनुस की मुश्किलें कैसे बढ़ी? आइए इस पूरे मामले पर नज़र डालते हैं।


◙ अमेरिकी सहायता के बंद होने से यूनुस सरकार पर गहराया संकट

यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि बांग्लादेश में तख्तापलट, शेख हसीना के देश छोड़ने और फिर यूनुस की सरकार बनने में अमेरिका (United States Of America) की अहम भूमिका थी। हालांकि तत्कालीन बाइडन प्रशासन ने भले ही इस बात से इनकार कर दिया हो, लेकिन कई सबूत इस ओर इशारा कर रहे थे कि बाइडन प्रशासन के अधिकारियों और डीप स्टेट ने ही बांग्लादेश में तख्तापलट करवाया था। हालांकि अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। इसकी वजह है डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना। ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही USAID के तहत बांग्लादेश को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी, जिससे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगा, बल्कि यूनुस सरकार पर भी संकट गहरा गया। इसके बाद ही देश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होती चली गई, बेरोजगारी बढ़ने लगी और बांग्लादेशियों का यूनुस से भरोसा भी कम होने लगा।

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◙ यूनुस करा सकते हैं बांग्लादेश में चुनाव

गौरतलब है कि यूनुस बिना किसी चुनाव के बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लीडर बने थे। इतना ही नहीं, वह कभी भी देश में चुनाव कराने के भी पक्ष में नहीं थे। लेकिन अब अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए यूनुस बांग्लादेश में चुनाव कराने को भी मंजूरी दे सकते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि अभी भी देश के कट्टरपंथी लोगों का समर्थन उन्हें ही मिलेगा।

◙ अन्य राजनीतिक दलों-सेना को राजी करना होगी बड़ी चुनौती

छात्र नेता भले ही यूनुस के पक्ष में हो, लेकिन शेख हसीना (Sheikh Hasina) की अवामी लीग समेत अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन यूनुस को नहीं मिला हुआ है। वहीं सेना भी यूनुस सरकार से खुश नहीं है। ऐसे में देश में चुनाव कराने के लिए अन्य राजनीतिक दलों और सेना को राजी करना यूनुस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

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◙ सेना कर रही है देश में राष्ट्रपति शासन पर विचार!

बांग्लादेशी सेना देश में बढ़ रहे अपराध, कट्टरवाद, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से खुश नहीं हैं। सेनाध्यक्ष वकार उज जमां ने मंगलवार को एक आपात बैठक भी बुलाई, जिसमें सेना के शीर्ष अधिकारियों ने शिरकत की है। बैठक में सेना ने देश में स्थिरता बहाल करने के उपायों पर चर्चा की। सेनाध्यक्ष की बुलाई बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया। माना जा रहा है कि सेना की सिफारिश पर बांग्लादेश में जल्द ही आपातकाल घोषित करके यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। ऐसे में बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश में सेना अपनी निगरानी में राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। दोनों ही स्थितियों में यूनुस के लिए खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि बांग्लादेश में फिर से तख्तापलट होने पर यूनुस को भी शेख हसीना की तरह देश छोड़कर भागना पड़ सकता है। सेना अगर चाहे, तो यूनुस को देश छोड़ने का मौका न देकर गिरफ्तार भी कर सकती है।

◙ जगजाहिर है बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल

बांग्लादेश में फिर से तख्तापलट होगा या नहीं, राष्ट्रपति शासन लागू होगा या नहीं, चुनाव होंगे या नहीं, इन सब स्थितियों की फिलहाल सिर्फ अटकलें ही लगाईं जा रही हैं। ऐसे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन बांग्लादेश में बढ़ रही राजनीतिक उथल-पुथल जगजाहिर है और यूनुस के लिए चिंता का विषय है।

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