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हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का साथ देगा ये मुस्लिम देश, विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ क्या हुई चर्चा ?

India-Oman relations: ओमान हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओमान यात्रा के दौरान हुई चर्चा से यह स्वर मुखर हुआ।

भारतFeb 17, 2025 / 11:43 am

M I Zahir

India Oman Relations

India Oman Relations

India-Oman relations: भारत और ओमान के बीच दोस्ती अब एक नए मुकाम पर पहुंचने वाली है। भाविदेश मंत्री एस जयशंकर की ओमान यात्रा भारत और ओमान के बीच मजबूत और बहुआयामी संबंधों के नजरिये से अहम है और यह द्विपक्षीय संबंध (India-Oman relations) व क्षेत्रीय सहयोग और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। जयशंकर ने ओमान में आयोजित 8वें हिंद महासागर सम्मेलन 2025 (Indian Ocean Conference 2025) के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण में हिंद महासागर क्षेत्र ( IOR ) के विकास, सुरक्षा और सहयोग पर भारत की भूमिका रेखांकित की। एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने भारत की प्रतिबद्धता रेखांकित की, जो हिंद महासागर क्षेत्र में एक स्थिर और समृद्ध माहौल बनाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में सहयोग (regional cooperation) ) बढ़ाने और इसके विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। जयशंकर ने रविवार को अपने ओमान के समकक्ष बद्र अलबुसैदी के साथ व्यापार, निवेश और ऊर्जा सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग पर व्यापक चर्चा की है। इससे दोनों देशों के बीच बड़े समझौते किए जाने पर सहमति बनने की संभावना है। 

हिंद महासागर क्षेत्र में मल्टी-डायमेंशनल जुड़ाव

विदेश मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में गहरे और दीर्घकालिक जुड़ाव के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि सभी देशों का सामूहिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने इस क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया।

मांडवी टू मस्कट: भारत-ओमान संबंधों का जश्न

जयशंकर ने ओमान में भारत और ओमान के 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों की सफलता और विकास पर भी बात की। उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत बनाने के लिए एक विशेष लोगो का अनावरण किया और एक पुस्तक ‘मांडवी टू मस्कट: भारतीय समुदाय और भारत-ओमान का साझा इतिहास’ का विमोचन किया, जो ओमान में भारतीय प्रवासियों के योगदान और दोनों देशों के रिश्तों पर प्रकाश डालती है।

भारत की साझेदारी और ग्लोबल विजन

एस जयशंकर ने ब्रूनेई, बांग्लादेश, ईरान, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और नेपाल के विदेश मंत्रियों के साथ आयोजित द्विपक्षीय बैठकों के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की साझेदारी और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में अपनी यात्रा की मुख्य बातें भी साझा कीं।

भारत की सक्रिय भूमिका

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता

उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया, और कहा कि एक मजबूत और सुरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र वैश्विक समृद्धि के लिए आवश्यक है।

मल्टी-डायमेंशनल जुड़ाव

विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय देशों के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में एक गहरे और दीर्घकालिक जुड़ाव के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि सभी देशों का सामूहिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।

हिंद महासागर क्षेत्र में ये देश हैं भारत के साझीदार

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत के कई प्रमुख साझीदार देश हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करते हैं, जैसे सुरक्षा, व्यापार, विकास, और सामरिक साझेदारी। ये साझीदार देश भारत के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र को स्थिर और समृद्ध बनाने के लिए काम करते हैं। ये हैं साझीदार देश:
ओमान – भारत और ओमान के बीच ऐतिहासिक और मजबूत संबंध हैं। ओमान हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण साझीदार है, खासकर व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा के मामलों में साझीदार देश है।
मालदीव – मालदीव भारत का करीबी समुद्री और रणनीतिक साझीदार है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत हैं, खासकर समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत के क्षेत्रों में रिश्ते मजबूत हैं।

मॉरीशस – मॉरीशस और भारत के बीच सामरिक और आर्थिक साझेदारी मजबूत है। भारत मॉरीशस के लिए एक प्रमुख विकास भागीदार है, और दोनों देश समुद्री सुरक्षा और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग करते हैं।
श्रीलंका – श्रीलंका के साथ भारत के रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंध हैं। दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में सहयोग करते हैं।

बांग्लादेश – बांग्लादेश और भारत के बीच आर्थिक और सुरक्षा संबंधों में वृद्धि हुई है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सीमाओं और व्यापार के मुद्दों पर सहयोग होता है।
इंडोनेशिया – इंडोनेशिया भी हिंद महासागर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण साझीदार है, और भारत के साथ समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, और व्यापार में सहयोग करता है।

ब्रूनेई – भारत और ब्रूनेई के बीच सामरिक और आर्थिक साझेदारी है, और दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार और सुरक्षा पर सहयोग है।
स्माल द्वीप विकासशील देश (SIDS) – हिंद महासागर क्षेत्र में कई छोटे द्वीप राष्ट्र भी हैं, जिनके साथ भारत विकास, पर्यावरण और सुरक्षा के मुद्दों पर साझेदार है। बहरहाल भारत का इन देशों के साथ सहयोग हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता, और समृद्धि बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत को हिंद महासागर के इन देशों से मिल रहीं चुनौतियां

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत को विभिन्न देशों और समस्याओं से चुनौतियां मिल रही हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, सामरिक स्थिति, और समुद्री रास्तों के नियंत्रण से संबंधित हैं। कुछ प्रमुख देशों और पहलुओं से भारत को ये चुनौतियां हो रही हैं:

चीन का सामरिक विस्तार

चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है, उसने विशेष रूप से पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यामार, और मालदीव जैसे देशों में अपनी समुद्री और सैन्य बुनियादी ढांचा कायम किया है। इससे भारत की सुरक्षा स्थिति पर खतरा हो सकता है।

CPEC (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर)

पाकिस्तान में चीन द्वारा निवेश और परियोजनाओं के विस्तार के कारण भारत की समुद्री सुरक्षा पर दबाव बढ़ा है। चीन का प्रयास इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का है।
“चीनी समुद्री सिल्क रोड”: चीन हिंद महासागर के विभिन्न देशों में अपनी वाणिज्यिक और सामरिक पहुंच को बढ़ा रहा है, जिससे भारत के रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।

पाकिस्तान और समुद्री सुरक्षा

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कई बार समुद्री सीमा उल्लंघन किए हैं और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन किया है। पाकिस्तान के साथ समुद्री सीमा पर तनाव बना हुआ है।

चीन-पाकिस्तान साझेदारी

पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते संबंध और चीनी सैन्य उपस्थिति भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंता का कारण हैं।

श्रीलंका और चीनी प्रभाव

चीन ने श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह में भारी निवेश किया है । यह भारत के लिए चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि यह चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में और अधिक प्रभावित करने की अनुमति देता है।
आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता और चीन की बढ़ती भूमिका, भारत के लिए एक चुनौती बन सकती है, विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा के संदर्भ में यह चिंताजनक है।

मालदीव में चीन की उपस्थिति

मालदीव में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए चिंता का कारण बनती है, खासकर चीन की “बेल्ट एंड रोड” पहल के तहत परियोजनाओं के चलते। इससे भारत की सामरिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।

मालदीव में राजनीतिक संकट

मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी देशों से समर्थन प्राप्त करने की प्रवृत्तियां भारत के लिए एक चुनौती बन सकती हैं।

म्यान्मार में चीन का प्रभाव

म्यान्मार में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक उपस्थिति भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। म्यांमार की आंतरिक अस्थिरता और सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों के कारण भारत की सुरक्षा स्थिति पर खतरा मंडराता है।

इंडोनेशिया के समुद्री मार्गों पर प्रतिस्पर्धा

हिंद महासागर में रणनीतिक समुद्री मार्गों पर चीन और अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा पर दबाव बढ़ सकता है। इन चुनौतियों के साथ, भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सुरक्षा, वाणिज्यिक मार्गों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सतर्क रहना पड़ता है।

हिंद महासागर भारत के लिए कितना अहम है?

हिंद महासागर भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और यह भारतीय उपमहाद्वीप की सुरक्षा, समृद्धि और सामरिक स्थिति को प्रभावित करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसके महत्व के कई प्रमुख कारण हैं:
  1. सामरिक और सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण
भारत की समुद्री सीमाएं हिंद महासागर से जुड़ी हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। हिंद महासागर में सक्रियता, भारत की सुरक्षा और समुद्री मार्गों की रक्षा के लिए जरूरी है।
चीन की बढ़ती उपस्थिति चीन का हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ता प्रभाव, विशेष रूप से पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में, भारत के लिए सामरिक चिंता का कारण है। भारत को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में अपनी प्रभावशीलता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हिंद महासागर भारत के समुद्री सैन्य रणनीति के केंद्र में है। इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की उपस्थिति महत्वपूर्ण है, ताकि वह विदेशी शक्तियों की गतिविधियों पर नजर रख सके और भारतीय हितों की रक्षा कर सके।
  1. आर्थिक महत्व, व्यापार और समुद्री मार्ग
हिंद महासागर दुनिया के सबसे बड़े और सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक और व्यापारिक मार्ग है, जिससे ऊर्जा, खनिज, और अन्य वस्त्रों का आयात और निर्यात होता है।
  1. जियोपॉलिटिकल महत्व
हिंद महासागर के देशों के साथ भारत के रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार करना भारत के लिए आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से फायदेमंद है। हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति और सक्रियता, इसे वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करती है। यह भारत को इस क्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता बढ़ाने का अवसर देता है, जिससे वह एशिया और विश्व में एक प्रमुख शक्ति बन सकता है।
  1. पर्यावरणीय और जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियाँ
भारत के लिए हिंद महासागर में स्थित द्वीप देशों और तटीय क्षेत्रों की पारिस्थितिकी तंत्र बचाए रखना जरूरी है। जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि, इन क्षेत्रों के लिए खतरे का कारण बन सकती है। हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाली सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं भारतीय तटीय क्षेत्रों पर असर डाल सकती हैं। इन आपदाओं से निपटना और इनकी तैयारी भारत के लिए आवश्यक है।
  1. जनसंख्या और आप्रवासन
हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं, विशेषकर खाड़ी देशों, मलेशिया, सिंगापुर, और दक्षिण अफ्रीका में। ये प्रवासी भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करते हैं और remittances के रूप में भारत को महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान करते हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय श्रमिकों और पेशेवरों का योगदान है, जो भारत के लिए रोजगार और विकास के अवसर पैदा करते हैं।

भारत-ओमान संबंधों के 70 साल पूरे

उल्लेखनीय है कि भारत और ओमान के राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हो गए हैं। ऐसे में दोनों नेताओं ने राजनयिक संबंधों की 70 वीं वर्षगांठ पर संयुक्त रूप से प्रतीक चिह्न जारी किया। उन्होंने ‘मांडवी टू मस्कट: इंडियन कम्युनिटी एंड शेयर्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया एंड ओमान’ नामक एक पुस्तक का भी संयुक्त रूप से विमोचन किया। ओमान सरकार का कहना है कि अगस्त 2024 में उसके देश में रह रहे भारतीयों की संख्या करीब 664,783 है।

भारत का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करना

बहरहाल भारत का हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए नेतृत्व की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एस जयशंकर ने अपने भाषण में इस क्षेत्र की सुरक्षा, समृद्धि, और वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के लिए भारत के दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। भारत का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में शांतिपूर्ण और समृद्ध माहौल सुनिश्चित करना है, जिसमें सभी देशों का सहयोग और सामूहिक विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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