Patrika Explainer: मोदी ने ट्रंप को किया सही हैंडल, जेलेंस्की की बिगड़ी बात, अब ये 10 सबक जो दुनिया को लेने की जरूरत
दूसरी बार राष्ट्रपति बने ट्रंप प्रतिदिन कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसे परंपरा और परिपाटी से अलग माना जा रहा है। इस घटना में दुनिया के लिए कई सबक हैं जिन्हें सीखकर ही अब आगे बढ़ा जा सकता है।
Donald Trump: शांति की उम्मीद में वाशिंगटन पहुंचे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुई तीखी तकरार को भले ही ज्यादा तूल नहीं दिया पर टीवी कैमरों के सामने हुई नोकझोंक से दुनिया सकते में है। शीर्ष नेता सबक लेते हुए सधी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। ट्रंप के विरोधी डेमोक्रेट इसे ‘शर्मनाक’ बता रहे हैं तो ‘अपूर्व स्थिति’ में फंसे यूरोपीय देश बदलते समीकरणों में नई पोजिशन की तलाश कर रहे हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों ने ‘देखो और इंतजार करो’ की नीति अपना रखी है। दूसरी बार राष्ट्रपति बने ट्रंप प्रतिदिन कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसे परंपरा और परिपाटी से अलग माना जा रहा है। इस घटना में दुनिया के लिए कई सबक हैं जिन्हें सीखकर ही अब आगे बढ़ा जा सकता है।
1- पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण सबक यह कि दो देशों के झगड़े में मददगार बनने वाले देश कैसे रंग बदल सकते हैं। जेलेंस्की जिस अमेरिका और यूरोप के सहारे अपने भाई (सोवियत संघ का हिस्सा रहे) जैसे देश रूस से लड़ पड़े, वहीं मददगार अब यूक्रेन के संसाधनों की बंदरबांट पर गिद्धदृष्टि गड़ाए बैठे हैं।
2- दूसरा सबक यह कि किसी देश के चुनाव में दूसरे देश के नेताओं का पार्टी बनना भावी रिश्ते को प्रभावित कर सकता है। यह सोच हावी हो रही है ‘जो हमारे साथ नहीं वह हमारा शत्रु है।’ राष्ट्रपति चुनाव में जेलेंस्की का ट्रंप के विरोधी बाइडन के पक्ष में दिखना यूक्रेन-अमेरिका के रिश्ते पर असर डालने वाला साबित हुआ है।
3- अमेरिकी राष्ट्रपति का व्यवहार वैश्विक नेताओं के मानदंडों के अनुरूप नहीं था। ट्रंप के भाषण, उनकी टिप्पणियां और सोशल मीडिया पोस्ट स्वीकृत मानदंडों का उल्लंघन करते प्रतीत होते हैं। अन्य नेता भी ट्रंप से डील करने से पहले कई बार सोचेंगे। यूरोप ने तो सोचना शुरू कर दिया है।
4- दुनिया को अब एक ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति से निपटना होगा जिसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण अपने वोटरों की नजरों में सम्मान पाना है। दुनिया के कई नेता यह समझ रहे हैं। पिछले दिनों ऐसे की उदाहरण सामने आ चुके हैं जब उन्होंने अपना मुंह बंद रखा और मुस्कुराते हुए आभार जताते रहे।
– जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय से वार्ता के दौरान जब ट्रंप ने गाजा के बारे में अपनी योजना बताई तो उन्होंने सामने में इसका खंडन नहीं किया। हालांकि व्हाइट हाउस से निकलने के बाद सोशल मीडिया पर ट्रंप की योजना को खारिज कर दिया।
– फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर जैसे अन्य नेताओं ने भी व्यवहार कुशलता दिखाई। मैक्रों ने मुस्कुराते हुए राष्ट्रपति ट्रंप का हाथ थामा और यूक्रेन के बारे में ट्रंप की बात को गलत बताते हुए सुधार किया।
5-ट्रंप-जेलेंस्की का टकराव यह बताता है कि अब हर देश अपने दम पर ही है। दिपक्षीय डील ही मायने रखते है। नया अमेरिका पुराने मानदंडों और नियमों का सम्मान करने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रत्येक देश को अपने हितों को सर्वोपरि रखना होगा। अमेरिका के भरोसे कोई देश अपना स्टैंड नहीं ले सकता।
6- भारत के लिए अच्छी बात यह रही कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात में ट्रंप ने अवैध प्रवासी और पारस्परिक टैरिफ जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया पर मोदी ने बड़ी शालीनता से स्थिति को बिगड़ने नहीं दिया। भारतीय दल ट्रंप की गोली को चकमा देने में कामयाब रहा।
– भारत ने अवैध प्रवासियों को वापस लेने और पारस्परिक टैरिफ पर मिलकर काम करने का निर्णय लिया जिसे दोनों पक्षों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। कैमरे के सामने भिड़े ट्रंप और जेलेंस्की, देखें वीडियो…
7- बंद दरवाजों को पीेछे की कूटनीति के पुराने नियम का अब ज्यादा महत्त्व हो जाएगा। इस कूटनीति के तहत कमरे के भीतर बातचीत और संवाद होते हैं और कैमरों के सामने कोई तमाशा नहीं होता। इसका मतलब यह होगा कि सार्वजनिक बयानों और दिखावे की तुलना में बैक-चैनल वार्ता पर अधिक जोर होगा।
8- व्हाइट हाउस में चल रहे इस नाटक का सबसे बड़ा लाभार्थी रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं । एक यूरोपीय राजनयिक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पुतिन इससे ज्यादा खुश नहीं हो सकते, वे क्रेमलिन में सीधे बोतल से वोदका पी रहे हैं।’ रूस ने जेलेंस्की की अमेरिका यात्रा को पूरी तरह नाकाम करार दिया है।
9- सबसे बड़ा संकट तो यूक्रेन के सामने आ गया है। अब उसे किसी भी कीमत पर अमेरिका से संबंध सुधारना होगा या उसके बिना ही रूस के सामने टिके रहने की चुनौती से निपटने का तरीका खोजना होगा। राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए संकट बढ़ गया है। नेतृत्व किसी और को सौंपना पड़ सकता है।
10- आखिरी सबक यह कि कमजोर देशों के साथ कोई नहीं रहेगा। सही-गलत से ज्यादा संबंधों और सहयोग में यह मायने रखेगा कि इसके क्या फायदा होगा। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठनों की भूमिका पहले से ही कम हो रही थी, ट्रंप के राज में यह खात्मे की ओर है। एक नई दुनिया के लिए तैयार होने का समय है।