प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा कि परम पूज्य पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। दुख और स्मरण की इस घड़ी में, वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएँ। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई।मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूँ और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।
यहूदी-विरोधी भावनाओं पर जताई थी चिंता
पोप फ्रांसिस ने रविवार को अपने अंतिम ईस्टर संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता की वकालत की थी। उन्होंने बेसिलिका की बालकनी से 35,000 से अधिक लोगों की भीड़ को ईस्टर की शुभकामनाएं दीं, लेकिन अपनी पारंपरिक “उर्बी एट ओरबी” (“शहर और विश्व के लिए”) आशीर्वाद को पढ़ने का कार्य एक सहयोगी को सौंप दिया। अपने संदेश में उन्होंने कहा, “धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों का सम्मान किए बिना शांति संभव नहीं है।” उन्होंने यहूदी-विरोधी भावनाओं को “चिंताजनक” बताते हुए गाजा की स्थिति को “नाटकीय और निंदनीय” करार दिया।
1.4 अरब कैथोलिक अनुयायी शोक में
पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से दुनिया भर के 1.4 अरब कैथोलिक अनुयायी शोक में डूब गए हैं। उनके नेतृत्व में चर्च ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया था। उनके निधन के साथ ही वेटिकन में नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, लेकिन फिलहाल पूरी दुनिया अपने प्रिय धर्मगुरु के जाने के गम में डूबी है।