हिंसा, नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन
इसके बाद आक्रोशित लोगों ने घटनास्थल पर विरोध प्रदर्शन किया और देखते ही देखते भीड़ ने कचहरीबाड़ी परिसर में घुसकर सभागार और कार्यालयों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। रिपोर्टों के अनुसार, हमलावरों में जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कट्टरपंथी संगठनों के सदस्य शामिल थे। उन्होंने टैगोर के खिलाफ नारे भी लगाए।
तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन
घटना के बाद अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। वहीं, संस्थान के निदेशक पर भी हमला हुआ है और कचहरीबाड़ी को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।
साहित्यिक धरोहर को चोट
यह वही कचहरीबाड़ी है जहाँ टैगोर ने सोनार तोरी और चैताली जैसी कालजयी रचनाएँ लिखी थीं। यह स्थान उनके पारिवारिक ज़मींदारी कार्यालय के तौर पर भी उपयोग होता था। इस हमले को केवल एक सांस्कृतिक धरोहर पर हमला ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की पहचान पर चोट के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक माहौल और प्रतिक्रिया
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पहले से ही विरोध और असंतोष से घिरी हुई है। ढाका में सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया है और यूनुस का आधिकारिक आवास सील कर दिया गया है, जो शासन की अस्थिरता को और उजागर करता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की सांस्कृतिक विरासत पर हमला
बहरहाल टैगोर जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की सांस्कृतिक विरासत पर हमला बांग्लादेश के सामाजिक-सांस्कृतिक तानेबाने के लिए खतरनाक संकेत है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यूनुस सरकार इस मामले में कितनी पारदर्शिता और सख़्ती दिखा पाती है।