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यहां सिर्फ 40 मिनट के लिए होती है रात तो 2-2 महीने तक नहीं उगता सूरज, आखिर क्या है वजह 

Interesting Facts: धरती पर इस तरह के दिन और रात होने की घटना धरती के आर्कटिक सर्कल में बसे देशों में होती है। आर्कटिक सर्कल, धरती पर भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित एक अक्षांश रेखा है।

भारतFeb 20, 2025 / 07:20 am

Jyoti Sharma

Norway

World Amazing Facts: ये पूरी दुनिया बड़े ही अजब-गजब रहस्यों से भरी पड़ी है। वहीं जब इन रहस्य़ों में साइंस का फ्यूज़न हो जाता है, तो इससे रोमांचक और कुछ भी नहीं हो सकता है। इस धरती पर हर जगह दिन और रात होते हैं कई देशों में दिन और रात (Day and Night Time) का समय अल-अलग होता है। लेकिन इस सत्य से भी दुनिया की एक-आध जगहें अपवाद हैं। जी हां, इस धरती पर एक ऐसी जगह है जहां दिन नहीं होता और रात नहीं होती। ये जगहें कौन सी हैं और इसका कारण क्या है, य़े हम आपको बता रहे हैं। 

नॉर्वे में सिर्फ 40 मिनट के लिए होती है रात 

दरअसल यूरोपीय देश नॉर्वे में रात के 12:40 बजे सूरज डूबता है और फिर ठीक 40 मिनट बाद यानी रात के करीब 1:30 बजे सूर्योदय हो जाता है। यहां पर मई से जुलाई महीने तक लगभग 76 दिनों के लिए 40 मिनट की रात (शाम) होती है। इन महीनों में दिन-रात के फासले को अनुभव करने के लिए कई पर्यटक भी यहां आते हैं। जो काफी रोमांचक अनुभव देकर जाता है। ब्रेनली.इन की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धरती 66 डिग्री के कोण पर घूमती है और नॉर्वे, धरती के उत्तरी ध्रुव के बहुत नज़दीक है। इसलिए यहां पर कभी अंधेरा ही नहीं हो पाता है। सूर्यास्त के बाद शाम के बाद फिर सूर्योदय होने से रोशनी बढ़ने लगती है। ये घटना नॉर्वे के आर्कटिक क्षेत्रों में, खासतौर पर आर्कटिक सर्कल के आसपास होती है। 

अलास्का में 2-2 महीने तक नहीं उगता सूरज 

धरती पर सिर्फ 40 मिनट की रात ही नहीं बल्कि एक ऐसी जगह भी है, जहां 2-2 महीने तक सूर्योदय ही नहीं होता। जी हां, ये दो महीने सिर्फ रात में व्यतीत है। रात में ही लोग अपने काम करते हैं, दफ्तर जाते हैं, बच्चे स्कूल जाते हैं, सब कुछ रात में होता है। ये जगह आर्कटिक सर्कल के भीतर बसे अलास्का में। इसके उत्तरी भाग में इस घटना को पोलर नाइट कहते हैं। इस दौरान सूर्य क्षितिज (Horizen) के नीचे रहता है, जिससे पूरा दिन अंधेरा रहता है। 
अलास्का में ये समय नवंबर के आखिरी से आधे जनवरी तक रहता है। ऐसे में कभी-कभी एक महीने और कभी दो महीने तक सूरज नहीं निकलता है। सूरज नहीं उगने के बावजूद दिन के कुछ घंटों में हल्का उजाला रहता है जिसे सिविल ट्वाइलाइट कहते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वहीं जैसे-जैसे धरती सूर्य की ओर झुकती है दिन फिर से लंबे होने लगते हैं।

आर्कटिक सर्कल पर पड़ता है प्रभाव

दरअसल धरती पर इस तरह के दिन और रात होने की घटना धरती के आर्कटिक सर्कल (Arctic Circle) में बसे देशों में होती है। आर्कटिक सर्कल, धरती पर भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित एक अक्षांश रेखा है। ये पृथ्वी के चारों तरफ के 5 प्रमुख अक्षांशों में से एक है। आर्कटिक सर्कल के उत्तर में स्थित क्षेत्र को आर्कटिक कहा जाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इस वजह से पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य से दूर झुका होता है। इस दौरान आर्कटिक सर्कल के भीतर बसी जगहों पर सूरज कई दिनों या कई महीनों तक क्षितिज के ऊपर नहीं आता।
वहीं आर्कटिक सर्कल पर सूर्य साल में कम से कम एक दिन के लिए 24 घंटे तक क्षितिज पर रहता है। गर्मियों में इसे मिडनाइट सन (नॉर्वे) का सूर्य और सर्दियों में इसे ध्रुवीय रात (अलास्का) कहते हैं। आर्कटिक सर्कल के उत्तर में बसे देशों में सूरज कभी सर्दियों के समय संक्रांति पर नहीं उगता और कभी गर्मियों में संक्रांति पर अस्त नहीं होता। बता दें कि आर्कटिक सर्कल की स्थिति स्थिर नहीं है। ये पृथ्वी के अक्षीय झुकाव पर निर्भर करता है। 

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