शी कई दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी करेंगे
क्रेमलिन ने टेलीग्राम पर एक बयान में कहा है कि शी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के विकास पर चर्चा करेंगे। साथ ही कई दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी करेंगे। उन्होंने कहा, “बातचीत के दौरान, व्यापक साझेदारी और रणनीतिक बातचीत के संबंधों के आगे विकास के मुख्य मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे पर मौजूदा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।”
यूक्रेन के साथ युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा (Ukraine conflict impact)
पुतिन ने 9 मई के जश्न के आसपास यूक्रेन के साथ तीन दिवसीय युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा है, जो रूसी कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण में से एक है। मॉस्को के तीन दिवसीय युद्ध विराम के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह तब तक तैयार हैं जब तक कि युद्ध विराम 30 दिनों तक चलेगा, कुछ ऐसा जिसे पुतिन ने निकट भविष्य में पहले ही खारिज कर दिया था, उन्होंने कहा कि वह एक दीर्घकालिक समझौता चाहते हैं न कि एक संक्षिप्त विराम।
विदेशी गणमान्य व्यक्ति की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता : ज़ेलेंस्की
ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ जारी युद्ध को देखते हुए यूक्रेन पारंपरिक 9 मई की विजय परेड के लिए मॉस्को आने वाले किसी भी विदेशी गणमान्य व्यक्ति की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता।
जिनपिंग की यात्रा का भारत पर कई दृष्टिकोणों से असर पड़ सकता है
शी जिनपिंग की रूस यात्रा का भारत पर कई दृष्टिकोणों से असर पड़ सकता है। यह यात्रा चीन और रूस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी और मजबूत करने के संकेत देती है, जिससे भारत को कुछ चिंताएं हो सकती हैं। भारत के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह रूस और चीन के साथ सामरिक संतुलन बनाए रखने के प्रयास कर रहा है। यहां कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं जो इस यात्रा के बाद भारत पर असर डाल सकते हैं:
रूस-चीन सहयोग का विस्तार , एक नया अध्याय
अगर रूस और चीन के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होती है, तो यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि भारत भी रूस के साथ मजबूत रिश्तों को बनाए रखने की कोशिश करता है। रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक सैन्य और रणनीतिक संबंध हैं, और यदि रूस पूरी तरह से चीन के पक्ष में झुकता है, तो भारत को अपने अंतरराष्ट्रीय संबन्धों में नई दिशा तय करनी होगी।
जिनपिंग की यात्रा का यूक्रेन युद्ध पर प्रभाव
रूस-चीन का गठबंधन यूक्रेन युद्ध पर भारत की नीति को प्रभावित कर सकता है। भारत ने यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में तटस्थ रुख अपनाया है, और रूस से अपने सैन्य और ऊर्जा आपूर्ति के संबंधों को बनाए रखा है। यदि चीन रूस के साथ और अधिक नजदीकी से जुड़ता है, तो भारत को अपने सुरक्षा और कूटनीतिक दृष्टिकोण पर पुनः विचार करना पड़ सकता है।
भारत-चीन संबंधों पर असर : एक नजर
चीन-रूस संबंधों के गहरे होने से भारत और चीन के बीच मौजूदा तनावपूर्ण संबंधों में और वृद्धि हो सकती है, विशेषकर सीमा विवादों के संदर्भ में। भारत चीन से संभावित सैन्य और कूटनीतिक चुनौतियों का सामना कर सकता है, जिससे उसकी आंतरिक सुरक्षा नीति और विदेश नीति में बदलाव हो सकता है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते समीकरण
चीन और रूस के साथ भारत के संबंधों के बीच संतुलन बनाए रखना एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। यह क्षेत्र चीन के प्रभाव में आता जा रहा है, और ऐसे में भारत को अपनी रणनीतिक और सैन्य नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है।
ऊर्जा और व्यापार संबंधों पर असर (India energy security)
भारत रूस से ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भर है, विशेषकर तेल और गैस के मामले में। अगर रूस और चीन के बीच संबंध और मजबूत होते हैं, तो यह भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति की स्थिति को प्रभावित कर सकता है, और भारत को अपनी ऊर्जा रणनीति को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता हो सकती है। बहरहाल शी जिनपिंग की रूस यात्रा का भारत पर असर न केवल कूटनीतिक, बल्कि सैन्य और आर्थिक दृष्टिकोण से भी गहरा हो सकता है। भारत को अपनी नीति को एशिया और यूरोप में बदलते हुए वैश्विक समीकरणों के अनुसार अद्यतन करना होगा।