अहिंसा, संयम और तप सबसे उत्कृष्ट धर्म
आचार्य महाश्रमण ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा, संयम और तप सबसे उत्कृष्ट धर्म हैं। प्राणी मात्र के प्रति अहिंसा की भावना, मैत्रीपूर्ण व्यवहार, सभी प्राणियों को अपने समान मानना, यही सच्चा धर्म है। हम दूसरों से जैसा व्यवहार चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार हमें दूसरों के साथ करना चाहिए, यही सच्ची अहिंसा है।आचार्य ने कहा कि जैन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है, इसमें साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर चार महीने तक साधना करते हैं और लोगों को उपदेश देते हैं। यह परंपरा भारत की अमूल्य आध्यात्मिक विरासत है। इस अवसर पर हम सभी को सच्चे धर्म को अपनाकर पूरी दुनिया के लिए सुख और शांति का मार्ग बनाना चाहिए।