सौ फीसदी नहीं मिली कामयाबी
खाद्य सुरक्षा योजना एक्ट का मकसद गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ती दरों पर राशन मुहैया कराना था। लेकिन सरकारी स्तर पर लापरवाही और अनदेखी के चलते बड़ी संख्या में सक्षम परिवार के लाभार्थी बन गए। बीते तीन साल में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मामलात विभाग ने केंद्र व राज्य कर्मचारियों को योजना से बाहर निकालने की कवायद की। लेकिन सौ फीसदी कामयाबी नहीं मिली। इससे योजना में प्रदेश को मिलने वाले गेहूं के आवंटन का गणित गड़बड़ा गया।300 रुपए कमाने वाला भी बाहर
राज्य सरकार के गिव अप अभियान में दिहाड़ी मजदूरी में रोज 300 रुपए कमाने वाला व्यक्ति भी खाद्य सुरक्षा योजना एक्ट से बाहर हो जाएगा। इसमें दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी संचालक, ऑटो रिक्शा चालक समेत अकुशल व कुशल श्रमिक भी शामिल हैं।राजस्थान में 10 मार्च से शुरू होगी गेहूं खरीद प्रक्रिया, एक क्विंटल पर मिलेगा भारी बोनस, सरकार ने की घोषणा
प्रदेश में घटे 11 लाख यूनिट
पड़ताल में आया कि राज्य सरकार के ‘गिव अप’ अभियान सहित अपात्र लाभार्थियों पर कार्रवाई से राज्य में 11 लाख यूनिट (उपभोक्ता) योजना से बाहर हो चुके हैं। इसमें अजमेर और ब्यावर जिले के करीब 1200-1200 राशन कार्ड से 5-5 हजार यूनिट कम हो चुके हैं।खाद्य सुरक्षा योजना में आज से जुड़ेंगे नाम, पोर्टल खुलने से जनता को राहत, जानें शर्त
यह हैं सरकारी प्रावधान
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट में आयकरदाता, एक लाख रुपए से ज्यादा की सालाना आय, प्राइवेट चौपहिया वाहन मालिक व परिवार का कोई सदस्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी, स्वायत्तशासी संस्थान में कर्मचारी, अधिकारी हैं तो राशन सामग्री लेने के पात्र नहीं हैं। ऐसे अ्पात्र लाभार्थियों को 31 जनवरी तक गिवअप फार्म भरना पड़ेगा।दौसा के DEO प्रारंभिक व ADPC एपीओ, शिक्षा विभाग में आदेश बने चर्चा का विषय
गरीब तबके को किया वंचित
क्रांति सेना समिति के प्रमुख लोकेश सिंह चौहान के अनुसार श्रम विभाग की गाइडलाइन के अनुसार अकुशल श्रमिक को 285 रुपए, अर्द्धकुशल को 330 व कुशल श्रमिक को 385 रुपए प्रतिदिन पारिश्रमिक मिलता है। ऐसे में अकुशल श्रमिक की सालाना आय एक लाख 2600, अर्द्धकुशल एक लाख 18 हजार 800 और कुशल श्रमिक की सालाना आय एक लाख 38 हजार 600 रुपए है। जबकि खाद्य विभाग के आदेश के अनुसार एक लाख रुपए की आय वाले लाभार्थी का राशन बंद किया जाना है। चौहान ने बताया कि निचले तबके के लोगों का आयकर रिटर्न भरने का मकसद बैंक लोन है। ताकि बैंक से आवासीय ऋण आसानी से मिल सके।राजस्थान के लिए खुशखबर, राज्य वृक्ष खेजड़ी की सांगरी को मिलेगा GI टैग, किसानों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले
केस संख्या -1
कोटड़ा वार्ड संख्या एक निवासी विनोद (बदला हुआ नाम) ऑटो रिक्शा चालक है। कोविड काल में परिवार खाद्य सुरक्षा योजना एक्ट (एनएफएसए) से जुड़ा। परिवार की वार्षिक आय एक लाख 8 हजार है। ऐसे में राशन डीलर ‘गिव-अप’ फार्म भरवाने पर उतारू है। पीड़ित ने जनवरी का अनाज राशन की अन्य दुकान से लिया।केस संख्या -2
अलवरगेट जादूघर बस्ती निवासी रेवंती देवी (बदला हुआ नाम) का परिवार दिहाड़ी-मजदूरी से भरण-पोषण करता है। रोजाना 500 रुपए की दिहाड़ी मजूदरी के हिसाब से परिवार की सालाना आय एक लाख से डेढ़ लाख है। लेकिन 6 सदस्यों का परिवार राशन के मुत के गेहूं पर निर्भर है। लेकिन एक लाख का आंकड़ा पार होने से सरकारी निवाले पर संकट है।आय सीमा बढ़ाने के लिए जयपुर मुख्यालय को कराया गया अवगत
गिव अप अभियान में एक लाख की सालाना आय में 300 रुपए प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति भी दायरे में आ जाएगा। इससे बड़ी संख्या में लोग योजना से बाहर हो जाएंगे। आय सीमा बढ़ाने के लिए जयपुर मुख्यालय को अवगत कराया गया है।अब्दुल सादिक, डीएसओ ब्यावर
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मुख्यालय से दिशा निर्देश मांगे
सालाना एक लाख आय के संबंध में मुख्यालय से दिशा निर्देश मांगे गए हैं। अब तक करीब 1200 राशन कार्डधारी गिव-अप कर चुके हैं। सक्षम व्यक्ति 30 जनवरी से पहले गिव-अप करके कानूनी कार्रवाई से बच सकेंगे।नीरज जैन, डीेएसओ अजमेर