बुधवार सुबह शिशु बाल गृह में महाराष्ट्र से आए दम्पति की झोली में 8 वर्षीय बेटी खुशी की खुशियां नसीब हो गई। जहां अपने माता-पिता को पाकर खुशी की खुशियों का ठिकाना नहीं था। वहीं किसान दम्पति की आंखें बिटिया को पाकर खुशियों से छलक उठी। शिशु बाल गृह की उप निदेशक रेखा और मैनेजर फरहाना खान की मौजूदगी में खुशी की सुपुदर्गी की कार्रवाई की गई।
ट्रेन में छोड़ गई मां
पड़ताल में आया कि करीब एक साल पहले खुशी को उसकी मां ब्यावर रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में छोड़कर गई तो वापस नहीं लौटी। सात साल की खुशी को बस इतना याद रहा कि मां उसको छोड़कर डिब्बा देखने गई तो वापस नहीं लौटी। ब्यावर से अजमेर पहुंची खुशी के परिजन की तलाश का प्रयास किया गया मगर सुराग नहीं लग सका। आखिर जीआरपी और चाइल्ड हेल्प लाइन के जरिए खुशी शिशु बाल गृह पहुंची। जहां उसका लालन-पालन के साथ केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संस्था ‘कारा’ के जरिए गोद दिलाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
किसान परिवार को मिली खुशी
शिशु बाल गृह की मैनेजर फरहाना खान ने बताया कि ‘कारा’ की ओर से बच्चों को गोद देने की चयन प्रक्रिया के बाद महाराष्ट्र के किसान परिवार का चुनाव खुशी के लिए हुआ। कारा की ओर से तमाम जांच पड़ताल के बाद बुधवार को गोद देने की प्रक्रिया को पूरा किया गया।
लम्बा इंतजार हुआ खत्म
उन्होंने कहा हमें बालिका को गोद लेने के लिए कई महीनों का इंतजार करना पड़ा, लेकिन आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। उनको बालिका को अपने परिवार का हिस्सा बनाने के लिए बहुत खुश हैं। खुशी को अच्छी शिक्षा सुविधाएं देंगे।
अब तक 66 बच्चे गए गोद
फरहाना खान ने बताया कि अब तक अजमेर शिशु बाल गृह से 66 बच्चों को गोद दिया जा चुका है। इसमें 60 देश में और 6 बच्चों को विदेशी माता-पिता ने अपनाया। खास बात यह है कि इन बच्चों में गम्भीर बीमारी से ग्रस्त बच्चे भी शामिल थे। जो अब अपने दत्तक माता-पिता के साथ अच्छा जीवन बसर कर रहे है।