त्रिवेणी संगम गौरव यात्रा आचार्य विद्यासागर के प्रथम समाधि दिवस पर गुरुवार को गौरव यात्रा रवाना हुई। श्रद्दालुओं का एक शाखा पद विहार करते हुए , केसरगंज जैन मंदिर से एवं अन्य शाखा पद विहार करते हुए, वैशाली नगर जैन मंदिर से नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुई, आचार्य श्री की दीक्षा स्थली, कीर्ति स्तम्भ (महावीर सर्कल) पर पहुंची। यहां से सभी एक साथ मेरवाड़ा एस्टेट कोठी के लिए रवाना हुए। त्रिवेणी संगम को लेकर युवाओं ने विशेष व्यवस्था की। महिलाएं बच्चे व आचार्य के प्रतीक चिन्ह लेकर साथ चले। कीर्ति स्तम्भ पर ही दोनों शाखाओं का नेतृत्व संतों का मिलन हुअ। यात्रा के अंतिम हिस्से में स्वर्णमयी रथ आचार्य श्री के प्रतीक चिन्ह लेकर साथ चले।
आचार्य विद्यासागर ने अजमेर में ली थी दीक्षा, पावन है दीक्षास्थल आचार्य विद्यासागर का अजमेर से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने 55 साल पहले अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा प्राप्त की थी। यह जैन समाज के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। दीक्षास्थल पर हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन के लिए आते हैं।
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को चिक्कोड़ीसदलगा जिला बेलगांव कर्नाटक प्रांत में मल्लप्पा और श्रीमंती जैन अष्टगे के घर जन्म हुआ। उनका नाम विद्याधर रखा गया। नवीं कक्षा तक लौकिक शिक्षा लेने के बाद 1966 में आचार्य देशभूषण महाराज से उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया। वह संस्कृत, प्राकृत सहित हिन्दी, मराठी और कन्नड़ भाषा जानते थे।
1968 में अजमेर में ली दीक्षा 30 जून 1968 को आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि पद की दीक्षा ली। महावीर सर्कल के पास दीक्षास्थल पावन तीर्थ बन चुका है। यहां 71 फीट का कीर्ति स्तंभ और दीक्षा से जुड़ेभित्ति चित्र उकेरे गए हैं।
बनेगा विद्यासागर पैनोरमा आचार्य विद्यासागर की स्मृति में राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में आचार्य विद्यासागर पैनोरमा बनाने की घोषणा की है। पैनोरमा ज्ञानोदय तीर्थ नारेली में बनना है। इसमें आचार्य विद्यासागर की जीवनी से जुड़े प्रसंगों को उकेरा जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल जल्द ही इसका शिलान्यास करेंगे।
हथकरघा प्रकल्प सकल दिगम्बर जैन समाज ने आचार्य विद्यासागर के आह्वान पर दो साल पूर्व हथकरघा प्रकल्प के तहत केंद्र विकसित किया है। इस केंद्र में 63 लूमों के साथ ट्रेनिंग दी जा रही है। निशुल्क प्रशिक्षण के साथ ही प्रति दिन का मानदेय भी दिया जा रहा है। आंध्र प्रदेश की इकक्त, महाराष्ट्र की पैठनी, गुजरात की अजरख और बाटिक, मध्यप्रदेश की माहेश्वरी, उत्तर प्रदेश की बनारसी, राजस्थान की जरदोजी, जरी, गोटा, सांगानेर, इंडिगो, बंधेज, पश्चिम बंगाल की कंथा, बिहार की मधुवनी आदि समस्त भारत की विलुप्त होती कलाओं का यहां प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
शरद पूर्णिमा के दो चंदा नाटिका का मंचन आचार्य विद्यासागर की प्रथम स्मृति दिवस पर भागचंद की कोठी में जैन समाज की ओर से दीप दान किया गया। समाज की महिलाओं ने मंगल दीप जलाकर अपनी श्रद्धा भावों को सांकेतिक रूप से व्यक्त किया। कार्यक्रम में आचार्य विद्यासागर के जीवन वृत्त को एक नाटिका के माध्यम से दर्शित किया गया। नाटिका में आचार्य के जन्म से लेकर उनके समाधि तक की यात्रा के प्रमुख क्षणों को मंच पर जीवंत किया गया। समाधि के मार्मिक क्षणों ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। नाटिका में आचार्य की समाधि के बाद शिष्य साधुओं ने प्रथम दीक्षित समय सागर को पटशिष्य घोषित कर जो आचार्य पद दिया इसका सुन्दर अंकन किया गया। नाटिका में ब्राह्मी महिला मंडल की नाटिका में राखी जैन, प्रीति जैन, बीना जैन, मोहिनी जैन, सलोनी जैन, शिल्पी जैन आदि ने भाग लिया।