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पति की मौत के बाद स्वयं पैरों पर खड़ी हुईं, फिर बेटे को बनाया डॉक्टर

मदर्स डे स्पेशल: एक मां ने सालों का संघर्ष, मेहनत व हौसले के बल पर बेटे को बनाया सक्षम

अलवरMay 11, 2025 / 12:09 am

mohit bawaliya

बेटे डॉ. पंकज यादव के साथ मां संतोष देवी।

बहरोड़. बहरोड़ शहर की निवासी संतोष देवी यादव की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। पति की असामयिक मृत्यु के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने ²ढ़ संकल्प से न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपने बेटे को एक सफल सरकारी चिकित्सक भी बनाया। यह कहानी साहस, मेहनत और ममता की अनूठी मिसाल है।
पति की मृत्यु और संघर्ष की शुरुआत : संतोष देवी के पति सुभाष चंद यादव की मृत्यु 13 जुलाई 1987 को रैबीज के कारण हुई थी। उस समय संतोष देवी चार माह की गर्भवती थीं। सुभाष चंद शाहपुरा में रहकर पढ़ाई कर रहे थे। वर्ष 1985 में एक दुखद घटना घटी, जब एक कुएं में गिरे पागल श्वान को बचाने के प्रयास में श्वान ने उन्हें काट लिया। इस घटना के कारण उन्हें रैबीज हो गया। दो साल बाद, जब रैबीज के लक्षण उभरे, तो उनकी मृत्यु हो गई। उस समय संतोष देवी ने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी।
शिक्षा के जरिए आत्मनिर्भरता की ओर कदम : पति की मृत्यु के बाद संतोष देवी के सामने अपने और आने वाले बच्चे के भविष्य को संवारने की चुनौती थी। सास-ससुर के प्रोत्साहन से उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने बीएसटीसी (बेसिक स्कूल टीङ्क्षचग सर्टिफिकेट) पूरा किया और सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया। उनकी मेहनत रंग लाई और वे थर्ड ग्रेड शिक्षिका के पद पर नियुक्त हो गईं। इस नौकरी ने उन्हें आर्थिक स्थिरता दी, जिससे वे अपने बेटे की परवरिश और शिक्षा पर ध्यान दे सकीं।
सफलता का परिणाम
आज डॉ. पंकज यादव अपने गृहनगर बहरोड़ के जिला अस्पताल में चिकित्सक के रूप में सेवा दे रहे हैं। उनकी मां संतोष देवी की मेहनत और त्याग ने न केवल उनके बेटे को एक सफल कॅरियर दिया, बल्कि समाज के लिए एक समर्पित चिकित्सक भी तैयार किया।
बेटे की परवरिश और शिक्षा
संतोष देवी ने अपने बेटे पंकज यादव की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने उसे 2008 से 2013 के बीच कर्नाटक से एमबीबीएस की पढ़ाई करवाई। एमबीबीएस पूरा करने के बाद पंकज का चिकित्सक के पद पर सरकारी नौकरी में चयन हो गया। उन्होंने तीन साल तक पहाड़ी सीएचसी में सेवाएं दीं। इसके बाद, 2018 से 2021 तक उन्होंने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल की। संतोष देवी ने अपने बेटे को देश के सबसे बड़े शिशु अस्पताल, जेके लोन जयपुर में भी प्रशिक्षण दिलवाया, ताकि वह एक कुशल चिकित्सक बन सके।
प्रेरणा का संदेश
संतोष देवी की यह कहानी दर्शाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी ²ढ़ संकल्प और मेहनत से बड़े सपने साकार किए जा सकते हैं। एक गर्भवती विधवा से लेकर एक शिक्षिका और फिर अपने बेटे को डॉक्टर बनाने तक का उनका सफर हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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