उन्हें 15 मई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसका जवाब नहीं दिया। इसके अलावा अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के विपरीत कार्य करते हुए भाजपा के सांसद भूपेंद्र यादव की पोस्ट पर टिप्पणी की और 14 जुलाई को वन राज्यमंत्री संजय शर्मा के साथ फोटो साझा की। इन पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें 6 वर्ष के लिए निष्कासित किया गया है। कांग्रेस की इस सख्त कार्रवाई पर जिले की सियासत खासी गरमा गई है।
इन 4 बड़े कारणों के चलते गिरी गाज
– ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते अजय अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया था। पोस्टर पर भाजपा का चुनाव चिह्न भी लगा हुआ था। पोस्टर पर प्रधानमंत्री मोदी के दो फोटो लगे हुए थे, इनमें एक फोटो हाथ जोड़ते हुए और दूसरा फोटो सैनिक की कैप पहने हुए था। पोस्टर में सबसे नीचे अजय अग्रवाल की खुद की फोटो लगी हुई थी, साथ ही उनका संक्षिप्त परिचय लिखा हुआ था। – मोदी सरकार के 11 वर्ष पूर्ण होने पर कोलकाता में केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने प्रेसवार्ता की थी। भूपेन्द्र ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इस पर कमेंट करते हुए अजय अग्रवाल ने भूपेन्द्र यादव को संबोधित करते लिखा था- क्या और कितना टेलेंट है आपमें। काम की धुन। अभी रामगढ़, फिर वापस दिल्ली में मीटिंग, फिर वापस अलवर और फिर वापस दिल्ली… कभी कलकत्ता, कभी बिहार, कभी उड़ीसा और पूरे हिंदुस्तान में कार्य करने का तरीका।
– 13 जुलाई को अजय अग्रवाल के परिवार के एक हैंडलूम के शोरूम का उद्घाटन हुआ था। इस कार्यक्रम में न आ पाने के लिए खेद जाते हुए केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शुभकामना पत्र भेजा था। इसमें व्यस्तता के चलते उद्घाटन कार्यक्रम में न आने की बात कही थी। इस पत्र को अजय अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा था-भूपेन्द्र जी का आमजन से जुड़ने का नायाब काम, राजनीति में जो भी लोग काम करते हैं, उन्हें अनुसरण करना चाहिए।
– 14 जुलाई को अजय अग्रवाल ने वन राज्यमंत्री संजय शर्मा के साथ अपनी एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। उस पर लिखा था- अलवर के दो शेर, न डरेंगे हम न रुकेंगे हम, चलते रहो-चलते रहो।
शहर के राजनीतिक विश्लेषक बोले- यह तो होना ही था
राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि अजय अग्रवाल कभी प्रधानमंत्री मोदी तो कभी केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव की तारीफ के कमेंट्स सोशल मीडिया पर कर भाजपा से नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे। यह बात कुछ कांग्रेसियों को खटक रही थी। आज हुई कार्रवाई इसी का नतीजा है। कांग्रेस के एक नेता ने दावा किया कि अजय पर यह कार्रवाई कारण बताओ नोटिस जारी होने से पहले ही तय हो चुकी थी, लेकिन कोई सवाल न उठे, इसलिए कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने पहले नोटिस जारी किया और फिर जवाब न मिलने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार निष्कासन का आदेश जारी कर दिया। शहर के एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि कभी शहर के बड़े नेताओं में शुमार अजय अग्रवाल एक समय के बाद दरकिनार कर दिए गए थे। उस वक्त कांग्रेस ने अजय अग्रवाल का हाथ थामा। उन्हें विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वे हार गए। इसके बाद कांग्रेस में भी उन्हें दरकिनार किया जाने लगा।
इससे आहत अजय अग्रवाल सोशल मीडिया पर मुखर हुए और कभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो कभी केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव की तारीफ में कमेंट्स करने लगे। इसकी शिकायत कांग्रेस के बड़े नेताओं से की गई। इसके बाद अजय को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन अजय ने इसका जवाब नहीं दिया। इसे पार्टी ने अनुशासनहीनता माना और अजय अग्रवाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
अब तक का राजनीतिक कॅरियर
अजय अग्रवाल ने वर्ष 2004 में भाजपा के टिकट पर स्कीम नंबर एक से पार्षद का चुनाव लड़ा। चुनाव जीतकर भाजपा के सिंबल पर नगर परिषद के सभापति बने। वर्ष 2008 में भाजपा ने अलवर शहर से विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन कुछ घंटे बाद टिकट काटकर बनवारी लाल सिंघल को दे दिया। अजय अग्रवाल वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े। उसके बाद वर्ष 2023 में कांग्रेस ने अलवर शहर विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन हार गए।
वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2022 तक वे किसी पार्टी का हिस्सा नहीं रहे। अब उनके भाजपा में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया है।