scriptराजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने अलवर जिले को दी ये रैंक, क्या होगा इसका असर ?  | Alwar gets 22nd rank in education department rankings | Patrika News
अलवर

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने अलवर जिले को दी ये रैंक, क्या होगा इसका असर ? 

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से स्कूलों की जारी रैंकिंग में अलवर जिला फिर फिसड्डी साबित हुआ है। टॉप-10 में आने की बजाय अलवर 22वें स्थान पर रहा है। जनवरी में 25वीं रैंक के मुकाबले 3 पायदान का सुधार हुआ है। अलवर को 150 में से 48.31 अंक हासिल किए हैं।

अलवरFeb 14, 2025 / 11:45 am

Rajendra Banjara

स्कूल शिक्षा परिषद राजस्थान

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से स्कूलों की जारी रैंकिंग में अलवर जिला फिर फिसड्डी साबित हुआ है। टॉप-10 में आने की बजाय अलवर 22वें स्थान पर रहा है। जनवरी में 25वीं रैंक के मुकाबले 3 पायदान का सुधार हुआ है। अलवर को 150 में से 48.31 अंक हासिल किए हैं। शिक्षकों का कहना कि टॉप टेन में शामिल होने के लिए कई बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है।

दो साल से अलवर जिले में डीईओ के पद पर अतिरिक्त चार्ज देकर काम करवाया जा रहा है। वर्तमान में जिले में 2,782 स्कूल संचालित हैं। सभी स्कूलों के पैरामीटर के आधार पर ये रैंकिंग मिली है। वहीं, ओवरऑल रैंकिंग में चूरू 55 अंक के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया है और दूसरे स्थान पर हनुमानगढ़ रहा है। अंतिम पायदान पर 35.09 अंकों के साथ दौसा जिला रहा है।

ये हैं रैंकिंग के मानक

स्कूली शिक्षा की रैंकिंग के लिए चार श्रेणियां तय की गई हैं। हर श्रेणी के अपने-अपने अंक निर्धारित है। शैक्षणिक श्रेणी के 100 अंक, नामांकन के 20 अंक, सामुदायिक सहभागिता के 20 अंक और आधारभूत सुविधाओं के 10 अंक तय हैं। शैक्षणिक श्रेणी के अंकों को 7 बिंदुओं में, नामांकन व सामुदायिक सहभागिता के अंकों को 3-3 बिंदु और आधारभूत सुविधाओं के अंकों को 2 बिंदुओं में बांटा गया है।

अलवर जिलेे में स्कूली रैंकिंग के बिंदुओं पर काम करवाया जा रहा है। रैंकिंग में सुधार के लिए सभी सीबीईओ को निर्देशित किया गया है, ताकि स्कूली रैंकिंग में सुधार किया जा सके। – महेश चंद गुप्ता, मुय जिला शिक्षा अधिकारी, अलवर

जिले में संचालित कक्षा एक से 12वीं तक की स्कूलों में शैक्षणिक और अशैक्षणिक पद रिक्त हैं, जिसकी वजह से शैक्षणिक स्तर में सुधार नहीं हो पाया है। अशैक्षणिक पद भी खाली होने की वजह से रिपोर्ट पूरी नहीं भरी जा रही है, इस वजह से अलवर पिछड़ा है। दो साल से जिला शिक्षा अधिकारी का पद खाली चल रहा है। इस पद को केवल अतिरिक्त चार्ज देकर भरा जा रहा है, जिसके कारण स्कूलों की मॉनिटरिंग समय पर नहीं हो पाती है। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ भी विद्यार्थियों को नहीं मिलने की वजह से अलवर की रैकिंग पिछड़ रहा है। – भूपसिंह नरुका, पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी , अलवर

Hindi News / Alwar / राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने अलवर जिले को दी ये रैंक, क्या होगा इसका असर ? 

ट्रेंडिंग वीडियो