अलवर जिला परिषद में 2 साल पहले हुई 134 लिपिकों की भर्ती में गड़बड़ी के नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब नए प्रकरणों में यह सामने आया है कि जिला परिषद ने कुछ ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी दी, जिनके आवेदन पंचायती राज विभाग के निर्देशों के अनुसार रिजेक्ट किए जाने थे।
अलवर जिला परिषद में 2 साल पहले हुई 134 लिपिकों की भर्ती में गड़बड़ी के नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब नए प्रकरणों में यह सामने आया है कि जिला परिषद ने कुछ ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी दी, जिनके आवेदन पंचायती राज विभाग के निर्देशों के अनुसार रिजेक्ट किए जाने थे।
पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त आयुक्त में 7 जून 2013 को लिपिक भर्ती 2013 के संबंध में करीब 27 बिंदुओं के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनकी पालना जिला परिषद को करनी थी। निर्देश के बिंदु संया 19 के अनुसार आवेदक की ओर से ऑनलाइन फॉर्म भरते समय जिस संस्था, बोर्ड, विश्वविद्यालय का जिक्र किया है, उसी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर दस्तावेज सत्यापन किया जाना था। अन्य संस्था का प्रमाण पत्र लाने पर उसका फार्म रिजेक्ट करने के निर्देश थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फार्म में जो शिक्षण संस्थान दर्शाए उससे उलट प्रमाण पत्र अभ्यर्थी लेकर पहुंचे, जिनको नौकरी दे दी गई।
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राज्य सरकार के आदेश के बिंदु संया 22 में लिखा था कि सिक्किम , मणिपुर और मेघालय से जारी कंप्यूटर प्रमाण पत्रों से संबंधित लोगों को तब तक नौकरी न दी जाए, जब तक की इनकी कंप्यूटर प्रमाण पत्र का सत्यापन न हो जाए, लेकिन जिला परिषद के एक अभ्यर्थी की ओर से मेघालय का कंप्यूटर प्रमाण पत्र लगाने के बाद बिना सत्यापन लिपिक बना दिया। इस पर सत्यापन दल ने रजिस्टर में आपत्ति दर्ज की थी कि कंप्यूटर प्रमाण पत्र दूसरे राज्य का है। इस आपत्ति को जिला परिषद ने दरकिनार कर दिया।
अब तक लिपिक भर्ती फर्जीवाड़े के जितने भी केस सामने आए हैं उनकी जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद एक साथ कार्रवाई होगी। –
आर्तिका शुक्ला, कलेक्टरयह भी पढ़ें:
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