न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने मानवीय आधार पर पैरोल मंजूर की है। इंद्राज की ओर से उसकी गर्भवती पत्नी ने याचिका दायर कर पैरोल पर छोड़ने का आग्रह किया। कोर्ट ने कहा कि पैरोल नियम, 2021 में पत्नी की डिलीवरी के आधार पर कैदी की रिहाई का प्रावधान है। ऐसे में मानवीय आधार पर याचिकाकर्ता को आकस्मिक पैरोल का लाभ दिया जाना उचित है।
जेल अधीक्षक खारिज कर दिया था प्रार्थना पत्र
याचिका में कहा कि प्रार्थिया गर्भवती है और इसी माह उसके बच्चे का जन्म होने वाला है। घर में उसकी देखभाल करने वाला और कोई नहीं है। ऐसे समय में उसे अपने पति के साथ की जरूरत हैं। याचिका में बताया कि थानागाजी गैंगरेप में इंद्राज सहित चार लोगों को अलवर की एडीजे कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2020 को उम्रकैद की सजा सुनाई। इंद्राज अलवर सेन्ट्रल जेल में है। उसने पैरोल के लिए अलवर जेल अधीक्षक के यहां कलक्टर के नाम प्रार्थना पत्र पेश किया, लेकिन जेल अधीक्षक ने 5 नवम्बर को प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। आरोपी को मिली 30 दिन की पैरोल
इसको लेकर इंद्राज की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन पैरोल रूल्स-2021 के संशोधित नियमों के तहत दोषी को मानवीय आधार पर पैरोल दी जा सकती हैं। राजकीय अधिवक्ता राजेश चौधरी ने विरोध करते हुए कहा कि इंद्राज को 30 जून 2021 से पहले सजा हुई। ऐसे में उस पर संशोधित नियम लागू नहीं होते। उसे पैरोल नहीं दी जा सकती हैं। हाई कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद इंद्राज को 30 दिन की पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया।