अलवर के तीन पार्कों की सार-संभाल जनता के हाथ, इसलिए चमक रहे
अलवर. शहर के तीन पार्कों का संचालन जनता के हाथ में है। इस वजह से इन पार्कों के हालात ठीक हैं। इसी तर्ज पर दूसरे पार्कों का संचालन भी जनभागीदारी से हो तो दशा और बेहतर होगी। एक्सपर्ट का भी यही कहना है कि यूआईटी व नगर निगम इन तीन पार्कों की तरह अन्य पार्क भी लोगों को सौंपे।
अलवर•May 09, 2025 / 07:23 pm•
Pradeep


इन पार्कों की तरह यूआईटी व नगर निगम दूसरे पार्कों का भी कराए संचालन हे
अलवर. शहर के तीन पार्कों का संचालन जनता के हाथ में है। इस वजह से इन पार्कों के हालात ठीक हैं। इसी तर्ज पर दूसरे पार्कों का संचालन भी जनभागीदारी से हो तो दशा और बेहतर होगी। एक्सपर्ट का भी यही कहना है कि यूआईटी व नगर निगम इन तीन पार्कों की तरह अन्य पार्क भी लोगों को सौंपे।
शहर में पार्कों की संख्या 166 है। इसमें करीब एक दर्जन पार्क ही ठीक हैं। सुविधाएं बेहतर हैं। बाकी पार्कों में बेसिक सुविधाएं कम हैं। शहर के बुद्ध विहार बी ब्लॉक का पार्क सबसे बेहतर है। वहां जनता की भागीदारी से रखरखाव किया जा रहा है। बच्चों के झूले से लेकर पौधों की स्थिति बेहतर है।
यहां हरियाली से सैर करने वाले प्यार करते हैं। रखवाली भी करते हैं। यह पार्क यूआईटी ने बनाया है। इसी तरह नेहरू पार्क का संचालन यूआईटी कर रही है। जनता भी इसमें सहयोग करती है। यहां भी झूले से लेकर नाव संचालन की व्यवस्था है। बेसिक सुविधाएं जैसे शौचालय, पेयजल आदि की सुविधाएं हैं। कंपनी बाग सबसे बड़ा पार्क है। हर दिन 10 हजार से ज्यादा लोग सैर करने आते हैं। इस पार्क का रखरखाव भी समिति की ओर से किया जा रहा है। समिति समय-समय पर निर्णय लेती है। यहां जिम के उपकरण नए लग जाएं तो शारीरिक अभ्यास करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
हर पार्क के संचालन को बनाई जाए समिति
एक्सपर्ट प्रमोद शर्मा का कहना है कि इन तीन पार्कों की तरह अन्य पार्कों का भी संचालन होना चाहिए। इससे सैर करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। यूआईटी अपनी कॉलोनियों के पार्कों में सुविधाओं के लिए लिस्ट तैयार करे और आमजन से भी फीडबैक ले, तभी उनको विकसित किया जाए। इससे व्यवस्थाएं सुधरेंगे। जनता के हवाले ही पार्क किए जाएं। समिति हर पार्क की बनवाई जाए।
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