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अनूपपुर

बीजापुरी के कलाकारों को घर बैठे मिलेगा बाजार, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ेंगे कारीगर

पुष्पराजगढ़ विकासखंड का बीजापुरी नंबर एक गांव जिलेभर में अपनी कलाकृति के लिए जाना जाता है। यहां काष्ठ कला के साथ ही गोंडी आर्ट, छीद, लोहा तथा गोंद से स्थानीय कलाकार कलाकृतियां तैयार करते हैं। स्थानीय कलाकार कई पीढिय़ों से इस कार्य में लगे हुए हैं। इसके बाद भी उनको वह पहचान नहीं मिली जो […]

अनूपपुरMay 02, 2025 / 11:38 am

Sandeep Tiwari

पुष्पराजगढ़ विकासखंड का बीजापुरी नंबर एक गांव जिलेभर में अपनी कलाकृति के लिए जाना जाता है। यहां काष्ठ कला के साथ ही गोंडी आर्ट, छीद, लोहा तथा गोंद से स्थानीय कलाकार कलाकृतियां तैयार करते हैं। स्थानीय कलाकार कई पीढिय़ों से इस कार्य में लगे हुए हैं। इसके बाद भी उनको वह पहचान नहीं मिली जो मिलनी चाहिए। सबसे बड़ी दिक्कत इन कलाकृतियों को विक्रय करने में होती है। कलाकृतियों का विक्रय स्थानीय स्तर पर उपलब्ध बाजार में ही किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में होने के कारण इसका विक्रय बड़ी मुश्किल से हो पाता है। अपनी आजीविका चलाने के लिए ग्रामीणों को कलाकृति निर्माण के साथ ही अन्य कार्य भी करने पड़ते हैं। इसको देखते हुए अब इन कारीगर और उनके बनाए उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने तथा विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है। जल्द ही ऑनलाइन मार्केटिंग एप्स एवं वेबसाइट में बीजापुरी के कलाकारों के उत्पाद भी शामिल किए जाएंगे जहां इसका विक्रय भी बढ़ेगा। देशभर में उनकी कलाकृति को पहचान मिलेगी।

ढाई सौ कलाकार गांव में कर रहे कार्य

बीजापुरी में वर्तमान समय में ढाई सौ कलाकार विभिन्न तरह की कलाकृतियों के निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। इसमें काष्ठ कला के साथ ही गोंडी आर्ट, छीद, लोहा तथा गोंद से बनी हुई कलाकृति का निर्माण कार्य ये वर्तमान में कर रहे हैं। सभी ढाई सौ कलाकारों का पंजीयन करते हुए उनके उत्पाद का विक्रय किए जाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

लाभ मिला तो स्थानीय स्तर पर करेंगे काम

बीजापुरी में 250 से अधिक कलाकार हैं जो अपनी कलाकृति का निर्माण करने के साथ ही आजीविका चलाने के लिए भोपाल, जबलपुर और बालाघाट जैसे स्थानों में मजदूरी का कार्य करते हैं। वापस आने पर कुछ कलाकृतियों का निर्माण स्थानीय स्तर पर विक्रय के लिए कर लेते हैं। ग्राम पंचायत सरपंच सुभद्रा देवी का कहना है कि यदि ऑनलाइन शॉपिंग से स्थानीय स्तर पर उत्पाद का विक्रय हुआ तो इसका लाभ कलाकारों को मिलेगा और उन्हें बाहर मजदूरी करने के लिए नहीं जाना पड़ेगा। काष्ठ कलाकृति का निर्माण करने वाले कलाकार ढोकल सिंह और पंचम सिंह परस्ते ने बताया कि घर बैठे ही अगर उनकी कलाकृति का विक्रय करने के लिए बाजार उपलब्ध हो जाए तो उन्हें यहां वहां भटकना नहीं पड़ेगा और मन लगा करके यह कार्य वह कर सकेंगे।

कंपनी बताएगी कैसे करें ब्रांडिंग

पर्यटन विभाग के जिला प्रबंधक अजय अग्रवाल ने बताया कि पर्यटन विभाग ने ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनी के साथ संयुक्त रूप से इसकी योजना बनाई है। कंपनी कारीगरों को प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्हें बताएगी कि कैसे अपने उत्पाद की ब्रांडिंग ऑनलाइन शॉपिंग एप के जरिए करनी है और इसका विक्रय किस तरह से करना है। सभी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर कारीगरों को अपने उत्पाद की फोटो लगाने के साथ ही रेट निर्धारण करना व विक्रय के बारे में बताया जा रहा है।

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