लेकिन कुछ ऐसे मुहूर्त होते हैं जिसके लिए समय देखने की जरूरत है इसमें किए गए काम में उद्देश्य की सफलता के चांस अधिकतम रहते हैं। इसीलिए इन्हें अबूझ मुहूर्त कहते हैं। ऐसी ही एक अबूझ मुहूर्त फरवरी में है, आइये जानते हैं कब-कब अबूझ मुहूर्त है ..
ये होते हैं साल के 5 अबूझ मुहूर्त
abujh muhurat 2025: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार अबूझ मुहूर्त ऐसे दिन होते हैं जब दिन में कोई शुभ मुहूर्त न होते हुए भी मांगलिक काम बिना सोचे-समझे किए जा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर वर्ष कुल पांच सिद्ध मुहूर्त यानी अबूझ मुहूर्त होते हैं।
2 फरवरी को है 2025 का पहला अबूझ मुहूर्त (abujh muhurat 2025 vasant panchami)
abujh muhurat 2025: पंचांग के अनुसार साल 2025 का पहला अबूझ मुहूर्त वसंत पंचमी 2 फरवरी को है। इस दिन यानी माघ शुक्ल पंचमी को विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का दिन है। साल 2025 के अन्य 4 अबूझ विवाह मुहूर्त ये हैं
2025 फुलेरा दूज (abujh muhurat 2025 phulera dooj)
abujh muhurat 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज पर्व मनाया जाता है, यह तिथि अबूझ मुहूर्तों में शामिल है और 2025 में 1 मार्च को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन दोषों से मुक्त होता है। इसीलिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों विशेष रूप से विवाह समारोहों के लिए ये अबूझ मुहूर्त है। हालांकि कुछ ज्योतिषी इससे सहमत नहीं हैं।यह तिथि वसंत पंचमी और होली के मध्य में पड़ती है और विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा-वृन्दावन के एरिया में मनाया जाता है। इस पर्व पर कृष्ण मंदिरों में विशेष झांकी दर्शन का आयोजन होता है।
अक्षय तृतीया 2025 (abujh muhurat 2025 Akshay tritiya)
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया तिथि भगवान विष्णु द्वारा शासित है और विवाह के अबूझ मुहूर्त में शामिल है। मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। भगवान विष्णु ने अपना छठा अवतार परशुराम अवतार इसी दिन लिया था। हालांकि कभी-कभी परशुराम जयंती अक्षय तृतीया से एक दिन पहले भी पड़ जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 2025 ग्रेगोरियर कैलेंडर से 30 अप्रैल को है।हिंदू धर्म में इस तिथि को सर्वाधिक शुभ तिथि में शामिल किया जाता है। इस दिन अखा तीज पर्व मनाते हैं। इसमें बुधवार को रोहिणी नक्षत्र वाले दिन की अक्षय तृतीया विशेष होती है। मान्यता है कि इस दिन किए काम मेंकभी कम न होने वाला शुभ फल मिलता है। इसीलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य करने से मिला फल स्थायी रूप से व्यक्ति के साथ रहता है। इस दिन किए कामों से सौभाग्य का साथ मिलता है, जिससे सफलता मिलती है। इसीलिए अधिकांश व्यक्ति इस दिन सोना आदि खरीदते हैं।