माघ पूर्णिमा का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व | Religious and astrological significance of Magh Purnima
धर्म ग्रंथों में माघ पूर्णिमा को स्नान-दान का महापर्व कहा गया है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, और इस अवसर पर किए गए सत्कर्म मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार, इस बार माघ पूर्णिमा का प्रारंभ 11 फरवरी की शाम 6:55 बजे से होकर 12 फरवरी की शाम 7:22 बजे तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार, इसे 12 फरवरी को मनाया जाएगा।इस बार Magh Purnima पर विशेष योग: स्नान और दान के लिए सबसे अच्छा
सौभाग्य योग: 12 फरवरी सुबह 08:06 तक शोभन योग: 12 फरवरी सुबह 08:06 से 13 फरवरी सुबह 07:31 तकगंगा स्नान का महत्व
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार, माघ पूर्णिमा का स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। पद्म पुराण, स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में इसका विशेष उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अमृत वर्षा करता है, जिससे नदी, सरोवर और जलाशय का जल अमृत तुल्य हो जाता है। यही कारण है कि श्रद्धालु बड़ी संख्या में गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़ते हैं।अगर गंगा स्नान संभव न हो तो क्या करें?
अगर किसी कारणवश तीर्थ स्थलों या नदियों में स्नान करना संभव न हो, तो घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इससे भी उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना कि पवित्र नदियों में स्नान करने से।Magh Purnima और महाकुंभ का विशेष संयोग
इस वर्ष माघ पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है क्योंकि यह महाकुंभ के दौरान आ रही है। लाखों श्रद्धालु संगम तट पर पुण्य अर्जन के लिए डुबकी लगाएंगे। ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।दान-पुण्य का महत्व
माघ पूर्णिमा के दिन तिल दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, इस दिन तिल दान करने से कई यज्ञों के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन:क्या करें:
– गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें।– व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
– तिल, अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
– सत्य नारायण व्रत कथा का आयोजन करें।
क्या न करें:
– किसी का अपमान न करें।– क्रोध और कटु वचन से बचें।
– अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
– पेड़-पौधों को नुकसान न पहुँचाएं। माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) केवल धार्मिक अनुष्ठान का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और अध्यात्म की ओर अग्रसर होने का अवसर भी है। इस शुभ दिन पर किए गए स्नान, दान और पूजा से न केवल मनुष्य को शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि वह ईश्वरीय कृपा का भी भागी बनता है। इस बार माघ पूर्णिमा पर बन रहे शुभ योगों के कारण यह और भी विशेष हो गया है, जिससे इसका धार्मिक महत्व कई गुना बढ़ जाता है।