कोडुगू जिले के पोन्नमपेट तालुक में स्थित यह बस्ती मडिकेरी जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर है। ये 52 परिवार नागरहोले टाइगर रिजर्व के अंदर अपनी मूल हादियों में मई के पहले सप्ताह में लौटे थे। वे अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के अनुसार अपने पूर्वजों की भूमि पर अधिकार मांग रहे हैं।
वन विभाग ने पहले आदिवासियों को हादी छोडऩे के लिए कहा था। हालांकि, आदिवासी परिवार वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत भूमि अधिकार की मांग कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के अनुसार, सभी जेनु कुरुबा परिवार अब बाघ अभयारण्य के अंदर रह रहे हैं।आदिवासी कल्याण विभाग के सचिव रणदीप डी. ने कहा, हम सबसे पहले डीसी के अधीन जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) से आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहेंगे।
चार झोपड़ियां नष्ट जेनु कुरुबा समुदाय के नेता शिवू ने कहा, 20 मई को वन अधिकार अधिनियम के तहत एक ग्राम सभा होगी, जहां जेनु कुरुबा समुदाय के सदस्यों के भूमि अधिकारों पर निर्णय लिया जाएगा। भविष्य की कार्रवाई के बारे में अपने पूर्वजों की राय लेंगे। हमने जो 10 अस्थायी झोपड़ियां बनाई थीं, उनमें से वन विभाग ने चार को ध्वस्त कर दिया। अब हम तीन झोपड़ियों में रह रहे हैं जबकि बाकी झोपड़ियां हमारे देवताओं और पूर्वजों को समर्पित हैं।
अतिक्रमण अपराध वन विभाग को हमारी निगरानी के लिए यहां नियुक्त किया गया है। हालांकि, वन विभाग ने हाल ही में एक बोर्ड लगा चेताया है कि बाघ संरक्षित क्षेत्र के अंदर अतिक्रमण करना अपराध है।