वन मंत्री ईश्वर खंड्रे के रविवार को दिए गए बयान के अनुसार हाथियों से दोनों राज्यों के बीच दोस्ती को मजबूती मिलेगी और आंध्र प्रदेश को मानव-पशु संघर्ष की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। आंध्र प्रदेश के चित्तूर में मानव-हाथी संघर्ष सीमावर्ती जिले कोलार के लोगों को भी प्रभावित कर रहा है। कुमकी हाथी ऐसे संघर्षों में शामिल जानवरों को पकडऩे में मदद करेंगे।मंत्री ने बताया कि हाथियों को सौंपना पिछले साल अगस्त में मानव-हाथी संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान किए गए समझौते का हिस्सा है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार हाथियों को सौंपेंगे। दशहरा में भाग लेने वाले या दशहरा समारोह का हिस्सा बनने के लिए पहचाने जाने वाले हाथियों को नहीं सौंपा जाएगा।
विरोध में उतरे वन्यजीव कार्यकर्ता आंध्र प्रदेश को छह हाथी उपहार में देने के कर्नाटक सरकार के फैसले ने वन्यजीव कार्यकर्ताओं को चिंता में डाल दिया है। सरकार की आलोचा भी शुरू हो गई। कार्यकर्ताओं का कहना है कि आंध्र प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए कर्नाटक सरकार इन हाथियों को उपहार में दे रही है। सच तो यह है कि आंध्र प्रदेश की तुलना में कर्नाटक में मानव-हाथी संघर्ष अपने चरम पर है। अन्य राज्यों से ज्यादा खुद कर्नाटक को ऐसे हाथियों की सबसे ज्यादा जरूरत है।
वन्यजीव कार्यकर्ता और कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने कहा, कर्नाटक 21 मई को आंध्र प्रदेश को छह हाथी उपहार में देने जा रहा है। रंजन, देवा, मस्ती, करुणा को कोडुगू जिले के दुबारे हाथी शिविर जबकि कृष्णा और अभिमन्यु को शिवमोग्गा जिले के सकरेबेलू हाथी शिविर से भेजा जा रहा है।कृष्णा और अभिमन्यु को उनके महावतों के साथ काली टाइगर रिजर्व के दांडेली में एक हाथी के बच्चे को उसकी मां से छुड़ाने में मदद करने के लिए भेजा गया था। महावत शिवमोग्गा लौट आए हैं जबकि कृष्णा और अभिमन्यु को दांडेली में ही कैद में रखा गया। यह प्रथा है कि महावत प्रशिक्षित हाथियों को अपनी निगरानी और देखभाल में रखते हैं। लेकिन, कृष्णा और अभिमन्यु के मामले में महावतों को संदिग्ध तरीके से भेज दिया गया। कर्नाटक से मिले इन छह हाथियों को चित्तूर ले जाया जाएगा ताकि बंदी हाथियों की संख्या बढ़ाई जा सके।
कर्नाटक में मानव-पशु संघर्ष की सबसे अधिक घटनाएं हूवर ने कहा कि आंध्र प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में मदद करने के लिए हाथियों को उपहार में दिया जा रहा है। विडंबना यह है कि कर्नाटक में मानव-पशु संघर्ष की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं। हासन, कोडुगू, चामराजनगर और मैसरु में लोगों, खासकर किसानों और खेतिहर मजदूरों को अक्सर कुचला जा रहा है। कर्नाटक पहले ही विभिन्न राज्यों को 59 कुमकी हाथी दे चुका है।
आवासों की सुरक्षा में विभाग विफल हूवर ने हाथियों के आवासों और गलियारों की सुरक्षा में विफलता पर भी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हाथियों के आवासों की सुरक्षा में विभाग की विफलता के कारण संघर्षों की संख्या में वृद्धि हुई है और हाथी पकड़े जा रहे हैं। सरकार को संरक्षण उपायों को बढ़ाने के लिए मामले पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
राज्य में 101 कुमकी हाथी वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार हाथियों को सौंपे जाने से कर्नाटक में बचाव अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कर्नाटक में अब भी 101 कुमकी हाथी हैं। विभिन्न अभियानों में अधिकतम 35 हाथियों की जरूरत पड़ती है।