बेटी की निकली निकासी
इस शादी का नजारा बिल्कुल अलग था। सदियों से चले आ रहे रिवाज से अलग हटकर देखने को मिला। पिता बृजमोहन यादव का कहना था कि उन्होंने शुरू से ही उन्होंने अपनी बेटी जया ओर प्रिया को बेटे की तरह बड़ा किया था। हम सभी का अरमान था कि बेटों की तरह बेटियों की निकासी निकले। इसलिए बेटी की शादी में बेटे की बारात वाला अरमान पूरा करने के लिए उन्होंने ऐसा किया। इस अलग हटकर नजारे को देखने के लिए हर कोई निकासी में शामिल होता चला गया। समाज को अच्छा संदेश देने की कोशिश
दुल्हनो के चाचा नरेंद्र व भूपेंद्र यादव ने बताया कि दुल्हन को घोड़ी नहीं चढ़ाया जाता, सिर्फ दूल्हे ही घोड़ी चढ़ते हैं। लेकिन हम लोगों ने बेटियों को बेटे की तरह पाला है। इसलिए हम सभी की इच्छा थी कि लड़के की तरह उनकी की धूमधाम से निकासी निकले। इसलिए हमने यह सब कुछ किया। हालांकि कई जगह ऐसा नहीं होता है, लेकिन जहां एक बेटी को बेटे की तरह देखा जाता है वहां पर बेटी को घोड़ी पर बैठाकर ही विदा किया जाता है।
बेटा-बेटी एक समान
बदलते समय के साथ साथ अब लोगों की सोच भी बदलती जा रही है। इसी का नतीजा है कि आए दिन ऐसी खबरें सुनने और देखने को मिलती है, जहां एक बेटी को भी बेटे की तरह घोड़ी पर बैठाया जाता है। उसे भी समान दिया जाता है।