scriptबदायूं: 11 साल पहले मर चुके बुजुर्ग का बना दिया ‘आयुष्मान’, 24 हजार के फर्जी क्लेम से खुला राज | Badaun: An old man who died 11 years ago was made 'Ayushman', the secret was revealed by a fake claim of 24 thousand | Patrika News
बरेली

बदायूं: 11 साल पहले मर चुके बुजुर्ग का बना दिया ‘आयुष्मान’, 24 हजार के फर्जी क्लेम से खुला राज

एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 11 साल पहले मर चुके प्रेमपाल के नाम पर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर 24 हजार रुपये की उपचार प्रतिपूर्ति का दावा कर दिया गया। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब आयुष्मान भारत योजना के तहत डेथ ऑडिट किया गया। अब प्रशासन इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

बरेलीFeb 04, 2025 / 10:50 am

Avanish Pandey

बदायूं। एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 11 साल पहले मर चुके प्रेमपाल के नाम पर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर 24 हजार रुपये की उपचार प्रतिपूर्ति का दावा कर दिया गया। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब आयुष्मान भारत योजना के तहत डेथ ऑडिट किया गया। अब प्रशासन इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

2013 में हुई थी मौत, 2024 में दिखा दिया इलाज

गांव अल्लैहपुर खुर्द के निवासी प्रेमपाल, जो अस्थमा के मरीज थे, चार अगस्त 2013 को निधन हो गया था। उस वक्त उनका आधार कार्ड भी नहीं बना था। लेकिन मई 2024 में किसी ने उनके नाम पर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाया और बरेली के मेडिकल कॉलेज में उन्हें दो दिन भर्ती दिखाकर इलाज के नाम पर 24 हजार रुपये का क्लेम कर लिया।

डेथ ऑडिट से खुली पोल

आयुष्मान भारत योजना की नोडल एजेंसी ‘साची’ प्रत्येक मरीज के इलाज की ऑडिटिंग करती है। जुलाई 2024 में ऑडिट टीम जब प्रेमपाल के घर पहुंची, तो उनके बेटे कलक्टर ने बताया कि पिता की मृत्यु 2013 में ही हो चुकी थी।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए पात्रता सूची में नाम होना जरूरी होता है। इसके बाद लाभार्थी के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन, रेटिना स्कैन और फिंगरप्रिंट मिलान किया जाता है। लेकिन इस मामले में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने के बावजूद फर्जी कार्ड बनाकर इलाज दिखाया गया।

नोडल अधिकारी बोले- अचंभित करने वाला मामला

आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. वैभव गुप्ता ने कहा,
“यह बेहद चौंकाने वाला मामला है। मृत व्यक्ति के नाम पर इलाज दिखाकर क्लेम लेना बहुत गंभीर फर्जीवाड़ा है। हमने ऑडिटर से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है और स्थानीय स्तर पर भी विस्तृत जांच कराई जाएगी।”

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