2013 में हुई थी मौत, 2024 में दिखा दिया इलाज
गांव अल्लैहपुर खुर्द के निवासी प्रेमपाल, जो अस्थमा के मरीज थे, चार अगस्त 2013 को निधन हो गया था। उस वक्त उनका आधार कार्ड भी नहीं बना था। लेकिन मई 2024 में किसी ने उनके नाम पर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाया और बरेली के मेडिकल कॉलेज में उन्हें दो दिन भर्ती दिखाकर इलाज के नाम पर 24 हजार रुपये का क्लेम कर लिया।डेथ ऑडिट से खुली पोल
आयुष्मान भारत योजना की नोडल एजेंसी ‘साची’ प्रत्येक मरीज के इलाज की ऑडिटिंग करती है। जुलाई 2024 में ऑडिट टीम जब प्रेमपाल के घर पहुंची, तो उनके बेटे कलक्टर ने बताया कि पिता की मृत्यु 2013 में ही हो चुकी थी।कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए पात्रता सूची में नाम होना जरूरी होता है। इसके बाद लाभार्थी के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन, रेटिना स्कैन और फिंगरप्रिंट मिलान किया जाता है। लेकिन इस मामले में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने के बावजूद फर्जी कार्ड बनाकर इलाज दिखाया गया।नोडल अधिकारी बोले- अचंभित करने वाला मामला
आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. वैभव गुप्ता ने कहा,“यह बेहद चौंकाने वाला मामला है। मृत व्यक्ति के नाम पर इलाज दिखाकर क्लेम लेना बहुत गंभीर फर्जीवाड़ा है। हमने ऑडिटर से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है और स्थानीय स्तर पर भी विस्तृत जांच कराई जाएगी।”