बॉर्डर के इन गांवों में कर्मचारियों की अव्वल तो सरकार ने नियुक्ति ही कम की है, फिर कोई है तो वह आता नहीं है। बॉर्डर पर पर्याप्त सरकारी स्टाफ नहीं होन से सुविधाओं का विस्तार नहीं हो रहा है।
इन गांवों के विकास के लिए पहले बीएडीपी (बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम)चल रहा था जो बंद हो गया। फिर उत्तर भारत में वाइब्रेंट विलेज योजना प्रांरभ की गई। इस योजना से बॉर्डर के इस इलाके को नहीं जोड़ा गया है। यह योजना लागू हों तो गांव-गांव में विकास हों।
प्रधानमंत्री ने बॉर्डर के इन गांवों केा आखिरी की बजाय पहला कहा है। वे कहते है कि इन गांवों में सबसे पहले सुविधा मिलनी चाहिए,लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। युद्ध की स्थिति बनते ही इन गांवों की वीर गाथाएं लिखी जाती है लेकिन इनकी तकदीर बदलने की योजनाओं से ये आज भी वंचित है। सरकार अब तनाव के तुरंत बाद स्थितियां बदलते ही इन गांवों के विकास की योजना बनाएं।- रविन्द्रङ्क्षसह भाटी, विधायक शिव