पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह 21 अप्रैल को जैतपुरा बस स्टैण्ड पर जयपुर जाने के लिए इंतजार कर रही थी। उसी दौरान एक कार में सवारी समझकर बैठ गई। कार में मौजूद बनवारीलाल ने खुद को ‘सिद्ध पुजारी’ बताया और कहा कि वह पितृ दोष, गृह दोष और महिलाओं की संतानहीनता का इलाज करता है।महिला की मजबूरी और विश्वास को भांपते हुए उसने खुद को ‘सिद्ध पुरुष’ घोषित कर पूजा-पाठ करने की सलाह दी। दो-तीन दिन बाद वह उसके घर आया और कहा कि मंगलसूत्र को ‘शुद्ध’ करना होगा। महिला ने भी भरोसे में आकर अपना मंगलसूत्र उसे सौंप दिया।

जब 26 अप्रैल को महिला ने मंगलसूत्र लौटाने की बात कही, तो आरोपी ने बहाना बनाया कि शुद्धिकरण अभी पूरा नहीं हुआ। 28 अप्रैल को जब फिर फोन किया गया तो किसी अनजान शख्स ने फोन उठाकर कहा महाराज अब इस दुनिया में नहीं रहे। इतना ही नहीं, आरोपी ने सोशल मीडिया पर खुद की मौत का शोक संदेश भी जारी कर दिया ताकि लोग उसकी खोजबीन बंद कर दें। लेकिन चौमूं थाना पुलिस ने इस ‘मृतक पुजारी’ की असलियत सामने लाते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। मोबाइल लोकेशन और साइबर टीम की मदद से पुलिस ने उसकी ठिकाने तक पहुंच बनाई।
थानाधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में बनवारीलाल ने कबूल किया है कि वह कई महिलाओं को इस तरह झांसे में लेकर ठगी कर चुका है। पुलिस अब उसके पुराने रिकॉर्ड खंगाल रही है और अन्य पीड़ित महिलाओं से भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि अंधविश्वास और झूठे बाबाओं से सावधान रहने की जरूरत है। आस्था एक निजी भावना है, लेकिन इसका फायदा उठाकर ठगी करने वालों से सतर्क रहना जरूरी है।