बता दें कि गत चुनाव में 69.46 फीसदी लोगों ने मतदान किया था, वहीं इस बार यह संख्या घटकर 63.78 फीसदी पहुंच गई है। ईवीएम की वापसी के बाद पीठासीन अधिकारियों की डायरियों के मिलान से यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
CG Election 2025: 10 फीसदी पुरूष कम पहुंचे केंद्र
गत चुनाव में नगर निगम कुल 2 लाख 16 हजार 67 मतदाता थे। इनमें से 1 लाख 50 हजार 122 यानि 69.46 फीसदी ने मतदान किया था। इस बार नगर निगम में 2 लाख 37 हजार 955 मतदाता है। इस तरह पिछली बार की तुलना में 21 हजार 888 मतदाता बढ़े हैं। वहीं मंगलवार को
मतदान के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय जारी अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक इनमें से करीब 63.78 फीसदी अर्थात 1 लाख 51 हजार 763 मतदाताओं ने मतदान किया है। इस तरह मतदान करने वालों की संख्या पिछले नगर निगम चुनाव से 5.68 फीसदी कम हो गया है।
पिछली बार नगर निगम के चुनाव में 1 लाख 6 हजार 804 पुरुष मतदाताओं में से 74 हजार 808 ने मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया था। इस तरह मतदान करने वाले पुरूषों की संख्या 74 फीसदी थी। इस बार 1 लाख 16 हजार 33 पुरूषों में से केवल 64.39 फीसदी यानि 74 हजार 717 पुरुषों में मतदान किया। इस तरह करीब 10 फीसदी मतदान घट गया। पिछली बार की संख्या से भी कम पुरूष मतदान केंद्र पहुंचे।
महिलाओं का भी रूझान घटा
पुरूषों की तरह पिछले
नगर निगम चुनाव में मतदान करने महिलाओं को भी रूझान कम रहा। पिछले चुनाव में 1 लाख 9 हजार 234 महिलाओं में से 68.94 फीसदी यानि 75 हजार 310 ने मतदान किया था। इस चुनाव में मतदान का मतदान करने वाली महिलाओं की भी संख्या बढ़ी है, लेकिन संख्या के लिहाज से औसत घट गया है। इस बार 1 लाख 21 हजार 896 महिला मतदाताओं में से केवल 63.19 फीसदी यानि 77 हजार 37 ने ही मतदान किया।
विस-लोकसभा से भी काफी पीछे
पिछले
विधानसभा और लोकसभा के आंकड़े के आसपास भी नहीं पहुंच पाए। पिछले साल हुए विधानसभा में शहर के 66.37 फीसदी ने मतदान किया था। चार महीने बाद लोकसभा में 69.03 फीसदी ने वोट किया था। इस बार इनसे 3 से 6 फीसदी कम लोगों ने वोट किया है।
यह हो सकता है मतदान घटने के कारण
मतदाता जागरूकता के अभियानों के कारण विधानसभा व लोकसभा में इसका परिणाम मतदान में बढ़ोतरी के रूप में सामने आया था। इस बार जागरूकता अभियान पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया।
पिछली बार नगर निगम के चुनाव बैलेट पेपर से कराया गया था। इसके अलावा केवल पार्षदों के चुनाव कराए गए थे। इस बार एक ईवीएम में दो मतदान कराए गए। इससे तुलनात्मक रूप से मतदान में ज्यादा समय लगा।
इस बार मतदाता सूची में नाम नहीं होने को लेकर शिकायतें ज्यादा रही। मतदाता पर्ची नहीं मिलने के कारण भी दिक्कत की स्थिति रही। आचार संहिता और मतदान के बीच प्रत्याशियों को कम समय मिला। इससे प्रत्याशी प्रचार में ज्यादा जोर नहीं लगा पाए। प्रत्याशियों की संख्या भी अपेक्षाकृत कम रहा।
बगावत कर उतरने वाले प्रत्याशियों की संख्या कम रही। मुकाबले की स्थिति में प्रत्याशी मतदाताओं पर फोकस करते हैं।