पंडित अशोक व्यास ने बताया कि होलाष्टक में सभी ग्रह उग्र हो जाते हैं और अनुकूल फल प्रदान नहीं करते। अष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश वर्जित है। इस दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं। इनके उग्र होने से कारण मनुष्य की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक बदलाव आता है।
पहली होली पर सास-बहू एक साथ नहीं रहती मान्यता है कि शादी के बाद पहली होली के दिन सास व बहू एक साथ नहीं रहते। होली से पहले ही बहू को पीहर भेज दिया जाता है। मान्यता है कि नव विवाहिता को प्रथम बार ससुराल में जलती होली नहीं देखनी चाहिए।
14 मार्च से 13 अप्रेल तक रहेगा मलमास होलाष्टक के बाद मलमास शुरू हो जाएगा। इससे करीब सवा महीने मांगलिक आयोजनों पर रोक रहेगी। 7 मार्च से होली तक होलाष्टक व 14 मार्च से 13 अप्रेल तक मलमास में मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। अप्रेल से जून तक शादियों की धूम रहेगी। होलाष्टक, मलमास, देवशयन काल में मांगलिक आयोजन वर्जित माने जाते हैं। इनके खत्म होने पर ही मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं।