होली के दिन पड़ने वाले चंद्रग्रहण का समय सुबह 9.29 से दोपहर 3.29 तक रहेगा। राहत की बात है कि चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसका प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप व अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र के अलावा प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा। भारत में चंद्रग्रहण दिखाई नहीं देगा, क्योंकि चंद्रग्रहण भारतीय समय अनुसार दिन में घटित होने वाला है। हालांकि इसका असर देश में पड़ेगा तथा आने वाले समय में कई तरह की घटनाएं हो सकती है।
चंद्रग्रहण का ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। धार्मिक दृष्टि से इसका कारण राहु-केतु माने जाते हैं। पंडित अशोक व्यास के अनुसार ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु को सांप की भांति माना है। जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। 29 मार्च को गहरा आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा। मतलब साफ है कि चंद्रमा सूर्य की सतह के केवल एक हिस्से को ढकेगा। खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह जानना रोचक होगा कि, चंद्रमा की केंद्रीय छाया पृथ्वी को छुएगी नहीं। इसका निष्कर्ष यह होगा कि कोई पूर्ण ग्रहण नहीं होगा।
साल 2025 के सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण सूर्य ग्रहण 29 मार्च को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6.13 मिनट पर समाप्त होगा। यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी। व्यास का मानना है कि ग्रहण काल के अनुसार प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप के झटके एवं सुनामी लहरो का उठना स्वाभाविक सा है। राजनीतिक दृष्टि से उच्च पदों पर रहने वाले व्यक्तियों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिलेगी, लेकिन देश में छोटी-मोटी घटनाएं चिंता बढ़ा सकती है।