रिपोर्ट के अनुसार, 2018 और 2024 के बीच स्कूलों के बुनियादी ढांचे (infrastructure) और छात्र नामांकन दरों में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति अस्थिर रही है, जबकि मिडिल स्कूलों में नामांकन दरों में तेज गिरावट देखी गई है। विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है।
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रिपोर्ट (ASER report 2024) में पाया गया कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता अस्थिर बनी हुई है। 2018 में 71% स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा थी, जो 2022 में घटकर 69.3% रह गई। 2024 में यह आंकड़ा थोड़ा सुधरकर 70.7% हो गया, लेकिन 2018 के मुकाबले काम ही रहा। नियमित शौचालयों के आकड़ों में भी साल 2024 में कम बढ़ोतरी देखी गई। साल 2018 में नियमित शौचालय 68.3% थे, जो 2022 में घटकर 67.2% हो गए थे। हालांकि, 2024 यह आंकड़ा 68.8% तक जा पंहुचा।
लड़कियों के लिए शौचालय की उपलब्धता और भी चिंताजनक रही। 2018 में यह 56.5% थी, जो 2022 में गिरकर 55.1% हो गई और 2024 में 58.9% तक पहुंची। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि कई स्कूलों में बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं अब भी अपर्याप्त हैं, जिससे विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
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रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक विद्यालय (ग्रेड 1-5) में लड़कों का नामांकन 2018 से 2022 तक लगभग 65% पर स्थिर रहा, लेकिन 2024 में घटकर 60.2% रह गया। लड़कियों के नामांकन में भी ऐसी ही प्रवृत्ति देखी गई, जो 2018 में 71% से घटकर 2022 में 69.3% हो गई और 2024 में 70.7% तक वापस आई।
मिडिल स्कूल (ग्रेड 6-8) में नामांकन दरें अधिक चिंताजनक हैं। लड़कों का नामांकन 2018 में 72.1% था, जो 2024 में घटकर 67.3% रह गया। लड़कियों की स्थिति और भी खराब रही, जहां नामांकन दर 2018 में 82.1% थी, जो 2024 में गिरकर 75.6% हो गई। इस गिरावट से संकेत मिलता है कि कई छात्र, विशेष रूप से लड़कियां, मिडिल स्कूल की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ रही हैं।